बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यूपी में पूर्व सांसद अतीक अहमद की हत्या से संबंधित पत्रकारों के सवाल पर कहा कि यह दुःखद घटना है. प्रेस के लोग ये सब करेंगे? झूठ बोल दिया कि प्रेसवाला खड़ा होकर पूछ रहा था. कौन आकर वहां खड़ा हो गया, यह सब पुलिस को पहले से देखना चाहिए था. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कोई जेल में है और आप उसको इलाज के लिए ले जा रहे हैं और रास्ते में इस तरह की घटना घट जाती है, यह बहुत ही दुःखद है. इसपर निश्चित रूप से एक्शन लेना चाहिए. किसी को सजा होती है और किसी पर केस होता है, कोई जेल में है तो उसपर हमको कुछ नहीं कहना है.
नीतीश ने कहा कि हमारा यह कहना है कि कोई भी जेल में रहेगा और वो बाहर जायेगा तो उसकी सुरक्षा का पूरा प्रबंध होना चाहिए. हम लोगों के यहां से भी कोई जेल से कोर्ट जाता है तो उसकी सुरक्षा में पुलिस रहती है या नहीं? इस तरह की घटना होती है तो वहां की सरकार को सोचना चाहिए. अपराधियों के सफाये का मतलब क्या है, उसको मार देना चाहिए. यह कोई तरीका है, इसका मतलब कि कोई जेल में जायेगा तो उसको मार दीजिएगा. ऐसा कोई नियम है? ये तो कोर्ट फैसला करता है. किसी को फांसी की सजा होती है तो वो भी कोर्ट फैसला करता है, बाकी कितने साल या महीनें जेल में रहने है, ये भी कोर्ट फैसला करता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना हमलोग कर रहे हैं. लेकिन, जातीय आधारित जनगणना की मांग हमने पहले केंद्र से की थी. 2011 में जो जनगणना हुई उसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गयी. उसके बारे में यह पता चला कि वो ठीक से नहीं हुई थी. बिहार में इस मुद्दे पर सारी पार्टियों का एक मत था. कहा कि 2019 में बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद् दोनों जगहों से जातीय जनगणना के लिए प्रस्ताव पारित हुआ था. लेकिन, बाद में केंद्र की ओर से हुआ कि आपलोग अपने स्तर से करिए तो हमलोग अपने स्तर से करवा रहे हैं. इसमें सभी दलों की सहमति है. सीएम ने कहा कि बख्तियारपुर जाकर हमने खुद अपनी गणना करवायी है. इसमें सब की आर्थिक स्थिति का भी पता लगाया जायेगा. संख्या जानने के अलावा कोई भी कास्ट हो अपर कास्ट हो या बैकवर्ड या दलित हो, मुस्लिम हो, अगर कोई खराब स्थिति में है तो उसके उत्थान के लिए काम किया जायेगा.
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