World Heritage Day 2023: विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है. इस दिन को “स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” (International Day for Monuments and Sites) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्त्व,उनके अस्तित्व के सम्भावित खतरों व उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके.
वर्ष 1982 में, ICOMOS (अंतर्राष्ट्रीय परिषद और स्मारक और स्थल) ने प्राचीन संस्कृति और उसके ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक दिन का सुझाव दिया. हालांकि, इस विचार को बाद में वर्ष 1983 में यूनेस्को द्वारा 22 वें सामान्य सम्मेलन के दौरान अपनाया गया था.
प्लेटिनम के अनुसार, यह दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक संस्कारों को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने के लिए मनाया जाता है. जिससे प्राचीन जनजातियां मर जाती हैं. साथ ही, यह दिन लोगों को उनके इतिहास की याद दिलाने में मदद करेगा.
1983 के बाद से, स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने एक विषय निर्धारित किया है और हर साल इसे अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल विश्व विरासत दिवस “विरासत परिवर्तन” (HERITAGE CHANGES) के विषय के तहत मनाया जाएगा.
हमारा अतीत कितना गौरवमयी रहा है उसका साक्षात हस्ताक्षर हैं यह धरोहरें. अतीत के किस्से, निर्णय, युद्ध, महापुरुष, जीत-हार, कला सब इन्हीं से जुड़े हैं. हर देश के पास अपने अतीत की एक कहानी है जो कि इतिहास के पन्नों पर दर्ज है और ये इतिहास बनता ऐसे ही स्थलों से हैं. इतिहास के अस्तित्व का जीवंत प्रमाण हैं ये धरोहरें. धरोहरें अपनी गाथाएं खुद सुनाती हैं.
संरक्षित स्थलों पर जागरूकता के लिए सांस्कृतिक-ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासतों की विविधता और रक्षा के लिए 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने की शुरुआत हुई. ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ माउंटेन्स ऐंड साइट द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल,1982 को विश्व धरोहर दिवस मनाने का सुझाव दिया गया, जिसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिया गया. नवंबर,1983 में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर साल 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया.