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TMBU में तीन वर्षों से ठप पड़ा रिसर्च प्रोजेक्ट, पहले विदेशी संस्थाओं से जुड़ कर होता था शोध कार्य

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम बंद है. वर्ष 2019 के बाद से अब तक कोई शोध कार्य नहीं हुआ है. विभागों में सामान्य रूप से पठन-पाठन के कार्य होते है. एकमात्र एग्रो इकोनॉमिक्स सेंटर में होता है रिसर्च संबंधित काम.

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय जो कभी यूएसए, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की संस्थाओं से जुड़ कर शोध कार्य करता था अब एक-दो को छोड़ देश की एजेंसियों से भी रिसर्च प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पा रहा है. बताया जा रहा है कि पिछले तीन वर्षों से एक भी रिसर्च प्रोजेक्ट टीएमबीयू को नहीं मिल पाया है, जबकि विवि में 34 पीजी विभाग व चार रिसर्च सेंटर हैं. सिर्फ एग्रोइकोनॉमिक्स रिसर्च सेंटर में कुछ रिसर्च का काम चल रहा है. मामले में जब पीजी विभाग के हेड से रिसर्च को लेकर बात की गयी, तो उनका कहना था कि रिसर्च को लाने को लेकर काम चल रहा है.

पहले यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस आदि देशों से था जुड़ाव

बता दें कि विवि में एक दो दशक पहले यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस आदि देशों से जुड़ाव था. यहां से टीएमबीयू का रिसर्च हुआ करता था. यूएसए के द फील्ड म्यूजियम, शिकागो, नोट्रेडम विवि, वियेना व केंट विवि, ओहियो से जुड़ कर विवि शोध कार्य किया था. इंग्लेंड के ब्रिस्टल व फ्रांस के लियोन विवि से भी जुड़ कर रिसर्च किया था.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अन्य संस्थानों से जुड़कर कार्य करने की बनी थी योजना

राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अन्य संस्थानों से भी जुड़ कर शोध कार्य करने की दिशा में वर्ष 2015 में टीएमबीयू प्रशासन ने एक योजना बनायी थी. विवि के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि योजना को लेकर पूर्ववर्ती छात्रों का सेल बनाया गया था़ इसमें विवि के वैसे पूर्ववर्ती छात्रों से शोध कार्य में मदद लेने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानाें से जुड़ने की योजना बनायी थी, जो ऐसे संस्थानों में कार्यरत है. इसे लेकर पूर्ववर्ती छात्रों का पंजीयन भी किया गया था़ यहां तक की उस समय टीएमबीयू के वेबसाइट पर उनकी सूची भी अपलोड की गयी थी, लेकिन कुछ दिन के बाद यह योजना बंद हो गया.

विवि के नैक मूल्यांकन पर दिख सकता है असर

विवि के नैक मूल्यांकन के दौरान बेहतर अंक पाने के लिए शोध का विशेष योगदान होता है. विवि के कुल एक हजार अंक में 250 अंक रिसर्च पर मिलता है. विवि के पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो लीला चंद्र साहा ने बताया कि नैक मूल्यांकन के समय नैक टीम देखती है कि कितने शिक्षक के अंदर कितने रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. यह प्रोजेक्ट कॉरपोरेट सेक्टर, बिहार सरकार व भारत सरकार से मिलते है. उन्होंने बताया कि हर विभाग में नियमित चार से पांच रिसर्च प्रोजेक्ट चलते रहना चाहिए. यूजीसी के अनुसार शिक्षकों को पठन-पाठन के साथ-साथ रिसर्च करना जरूरी है.

क्या कहा अलग-अलग विभाग के विभागाध्यक्षों ने

विवि के संकाय डीन व विभाग के हेड ने कहा कि रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जा रहा है. विभाग से एक प्रस्ताव डीएसटी को भेजा गया है. दूसरा भेजने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले विभाग से रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा गया था. रिसर्च को लेकर विभाग गंभीर है.

  • प्रो जगधर मंडल, पूर्व हेड पीजी फिजिक्स विभाग

रिसर्च प्रोजेक्ट संबंधित एजेंसी को भेजा जा रहा है. कुछ पूर्व में भी भेजा गया है. रिसर्च को लेकर काम चल ही रहा है. कुछ रिसर्च प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. फाइनल होने के बाद भेजा जायेगा.

  • डॉ पवन कुमार सिन्हा, डीन कॉमर्स

कोरोनाकाल के कारण रिसर्च प्रोजेक्ट का काम नहीं हुआ है. वर्तमान में रिसर्च प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ है. विवि की तरफ से भी रिसर्च प्रोजेक्ट को लेकर कोई प्रयास नहीं किया जाता है.

  • प्रो उदय मिश्रा, संकाय डीन

रिसर्च प्रोजेक्ट को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है. संबंधित एजेंसी को भेजा रहा है. प्रयास किया जायेगा कि रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सके.

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