राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के खिलाफ निगरानी जांच का आदेश दिया है. सरकार ने यह आदेश महाधिवक्ता की राय के बाद दिया है. गौरतलब है कि जमशेदपुर निगरानी ने जूनियर इंजीनियर सुरेश वर्मा के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप में प्राथमिकी (13-19) दर्ज की थी और 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था.
उसके घर की तलाशी के दौरान ऊपर के कमरे से “2.67 करोड़ जब्त किये गये. यह कमरा बीरेंद्र राम के चचेरे भाई आलोक रंजन ने किराये पर ले रखा था. निगरानी ने इस मामले में सुरेश वर्मा और आलोक रंजन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. हालांकि, आलोक रंजन के कमरे से मिले पैसों के स्रोत की जांच नहीं की.
बाद में निगरानी ने इस मामले में पीइ दर्ज कर बीरेंद्र राम की भूमिका की जांच की अनुमति के मांगी थी. निगरानी के इस प्रस्ताव पर सरकार के स्तर से जमशेदपुर में दर्ज प्राथमिकी में ही बीरेंद्र राम के मामले की जांच करने की अनुशंसा की गयी. विधि विभाग की सहमति के बाद इस महाधिवक्ता के पास भेजा गया. महाधिवक्ता ने भी जमशेदपुर में दर्ज प्राथमिकी में ही बीरेंद्र राम का नाम जोड़ कर जांच करने की राय दी.