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अमृतपाल सिंह के 9 साथियों के लिए किले में बदला असम जेल, बात करने की भी इजाजत नहीं

अमृतपाल सिंह के 9 साथियों, समर्थकों और मददगारों को इस समय असम के जेल में रखा गया है। इस जेल में केवल ये लोग ही सिख कैदी हैं और इन्हें किसी भी अन्य कैदी से बात करने की इजाजत भी नहीं दी गयी है.

Assam Jail Turned into Fortress: खालिस्तानी समर्थक और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के 9 साथी, समर्थक और मददगार को इस समय असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रखा गया है. इन 9 कैदियों को ध्यान में रखते हुए असम जेल को पूरी तरह से किले में तब्दील कर दिया गया है. यह जेल पंजाब के अमृतसर से लगभग 3,000 किलोमीटर दूर है और 166 साल पुरानी है. बता दें ये सभी 9 कैदी कई मायनों में काफी यूनिक हैं. बता दें इस जेल में कैद ये 9 कैदी ही हैं जिनपर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है. केवल यहीं नहीं असम जेल में केवल ये लोग ही सिख कैदी हैं. सामने आयी जानकारी के मुताबिक़ इन सभी को जेल में मौजूद अन्य कैदियों से बात करने की अनुमति भी नहीं दी गयी है

क्या कहते हैं जानकार

इस मामले से जानकार लोग बताते हैं कि- पंजाब सरकार ने शुरूआती दौर में अमृतपाल सिंह के सहयोगियों को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजने के बारे में सोचा था. लेकिन, दिल्ली के इस जेल में पहले से कई पंजाबी गैंगस्टर और अलगाववादी भी मौजूद हैं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उन्हें असम भेजने का फैसला लिया. 2021 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जन सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार लोगों को आगरा की एक जेल भेजकर कुछ ऐसा ही किया. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि गिरफ्तार किए गए लोगों को उनके गृह राज्यों से जेल में रखा गया है, जहां अन्य कैदियों की संभावना है, कभी-कभी जेल अधिकारी भी उनकी मदद करते हैं.

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1857 में तैयार हुआ डिब्रूगढ़ जेल परिसर 

अगर आप नहीं जानते तो बता दें डिब्रूगढ़ जेल परिसर को 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध में भाग लेने वाले भारतीयों के लिए बनाया गया था, लेकिन तब से कई कैदियों को रखा गया है जिन्होंने भारत की राष्ट्रीयता की धारणा के खिलाफ काम किया है. इस जेल में 1980 के दशक बैन किये गए ULFA के सदस्यों और अब पंजाब के पंजाब के अलगाववादी को रखने के लिए किया जाने लगा है.

जेल अधिकारियों ने किया खुलासा 

मामले पर बात करते हुए जेल अधिकारीयों ने बताया कि- अगर भगोड़े अमृतपाल सिंह को डिब्रूगढ़ जेल लाया जाता है तो फिर यहां की सिक्योरिटी की समीक्षा की जा सकती है और सुरक्षा को और भी बढ़ाया जा सकता है. बता दें वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपल सिंह की उम्र 30 साल है और वह पंजाब पुलिस के मोस्ट वांटेड लिस्ट में सबसे ऊपर है. बता दें एक महीने पहले तक, डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल असम की छह ऐसी सेंट्रल जेलों में से एक थी. नेशनल लेवल पर कुख्यात कैदी नहीं होने के कारण, जेल की परिधि पर असम पुलिस का पहरा था, जबकि जेल के इन-हाउस गार्ड ने सुरक्षा का प्रबंधन किया है.

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24 घंटे होती है निगरानी 

पिछले एक महीने में इसे मैक्सिमम हाई सिक्योरिटी वाली जेल में बदल दिया गया है. यहां CRPF के जवान 24 घंटे निगरानी करते हैं. केवल यहीं नहीं यहां असम पुलिस और कमांडो भी मौजूद रहते हैं. जेल गेट के अंदर 57 CCTV कैमरा और मॉनिटर लगे हुए हैं ताकि, अंदर मौजूद कैदियों और उनसे मिलने आने वालों पर नजर रखा जा सके. अधिकारी ने बताया कि- जब हमें बताया गया कि पंजाब से एनएसए-कैदियों को यहां लाया जाएगा, तो हमारी टीमों ने बंद पड़े सभी CCTV कैमरों को ठीक कर दिया और हाई-मास्ट लाइट भी लगा दी गयी.

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