Bareilly: समाजवादी पार्टी (सपा) ने यूपी निकाय चुनाव को लेकर बरेली मेयर सीट के लिए संजीव सक्सेना को टिकट देने के साथ ही सिंबल का लेटर भी दे दिया है. संजीव सक्सेना के कमजोर प्रत्याशी होने की चर्चा के बीच कहा जा रहा था कि पार्टी किसी और पर दांव खेल सकती है. हालांकि इन अटकलों को खारिज करते हुए सपा ने संजीव सक्सेना को सिंबल लैटर देकर सारे सवालों पर विराम लगा दिया है.
निकाय चुनाव में पार्टी के इस फैसले से टिकट बदलने की उम्मीद लगाए बैठे दावेदारों को बड़ा झटका लगा है. पार्टी हाईकमान से सिंबल लेटर मिलने के बाद सपा प्रत्याशी संजीव सक्सेना ने नामांकन पत्र खरीद लिया है. मगर, सपा से टिकट के दूसरे दावेदार पूर्व मेयर डॉक्टर आईएएस तोमर बगावत की राह पर हैं. उनके करीबी पूर्व पार्षद मनीष शर्मा ने निर्दलीय के रूप में नामांकन पत्र खरीद लिया है. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि डॉक्टर आईएस तोमर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.
पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो डॉक्टर आईएस तोमर पार्टी के चुनाव चिन्ह (सिंबल) पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे. मगर, वह पार्टी का समर्थन चाहते थे. इसको लेकर सपा प्रमुख ने इनकार कर दिया, जिसके चलते संजीव सक्सेना के टिकट की घोषणा की गई थी. मगर, इसके बाद संजीव सक्सेना को पार्टी नेताओं से लेकर आम जनता भी कमजोर प्रत्याशी मान रही थी. क्योंकि, वह कुछ वर्ष पहले ही स्टेट वेयरहाउस कॉरपोरेशन (एसडब्ल्यूसी) की नौकरी के बाद राजनीति में आए थे. उनको कायस्थ वोट मिलने की उम्मीद में पार्टी ने टिकट दिया. हालांकि पार्टी के इस फैसले पर उसके अपने ही सवाल उठा रहे हैं.
पार्टी संगठन के एक पुराने नेता ने बताया कि कायस्थ मतदाता भाजपा का भरोसेमंद वोट है. यह वोट किसी अन्य दल के साथ आने को तैयार नहीं है. इससे पहले पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री डॉ.अरुण कुमार सक्सेना को टिकट दिया था. मगर, उन्हें भी अपनी बिरादरी के इलाकों वाली जगह में वोट नहीं मिले और सपा उम्मीदवार के तौर पर हार नसीब हुई. इसके बाद भाजपा के टिकट पर लगातार वह तीसरी बार चुनाव जीतकर मंत्री बने हैं.
डॉक्टर आईएस तोमर ने वर्ष 2002 में भाजपा से टिकट मांगा था. वह भाजपा में थे. मगर, उनको टिकट नहीं दिया. इसके बाद डॉक्टर आईएस तोमर ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था. वह भाजपा प्रत्याशी को हराकर पहली बार मेयर बने थे. इसके बाद वर्ष 2012 में सपा सरकार में सपा के समर्थन से मेयर बने. मगर, वर्ष 2017 में भाजपा के मेयर प्रत्याशी डॉ. उमेश गौतम से चुनाव हार गए थे.
बरेली मेयर प्रत्याशी के लिए चार अन्य दावेदारों ने भी नामांकन पत्र खरीदे हैं. जिसके चलते बरेली में इस सीट के लिए 11 नामांकन पत्र खरीदे जा चुके हैं. मगर, अभी तक एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ है. सपा और कांग्रेस ने टिकट का ऐलान कर दिया है. मगर, अब हर किसी को भाजपा और बसपा के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार है.
उत्तर प्रदेश के बरेली में दूसरे चरण में चुनाव है. जिसके चलते नामांकन प्रक्रिया 17 अप्रैल से शुरू हुई है. यह 24 अप्रैल तक चलेगी. 20 अप्रैल से प्रत्याशियों के नामांकन दाखिल होने की उम्मीद है.