Lucknow: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या के बाद हर रोज नई कहानियां सामने आ रही हैं. अतीक के काले साम्राज्य से लेकर उसमें शामिल सफेदपोश, सरहद पार से हथियारों की खरीद, पत्नी शाइस्ता परवीन का गिरोह के काम को संभालने सहित कई खुलासे हो रहे हैं. वहीं तीनों हत्यारोपियों से पूछताछ में भी कई अहम बातें सामने आई हैं. इस बीच अब अतीक गैंग से संबंधित सर्विलांस पर लिए गए हजारों मोबाइल फोन के अचानक स्विच ऑफ होने की बात कही जा रही है. ये नंबर उत्तर प्रदेश के 22 जनपदों के बताए जा रहे हैं. अब नई रणनीति पर काम करते हुए इनका सुराग तलाशा जा रहा है.
उमेश पाल हत्याकांड के बाद एसटीएफ ने हत्यारों की तलाश में कई मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगाया था. जैसे-जैसे टीम को अतीक अहमद के गिरोह से जुड़े लोगों और उनके करीबियों की जानकारी मिली, उनके नंबर भी सर्विलांस पर लगा दिए गए. एसटीएफ को इनके जरिए अहम जानकारियां भी मिली. कहा जा रहा है कि अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम का सुराग भी ऐसे ही मिला था.
वहीं अतीक और अशरफ हत्याकांड के बाद एसआईटी और पुलिस को इनसे अन्य अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद थी. लेकिन, इस बीच सर्विलांस पर लिए गए हजारों मोबाइल फोन अचानक बंद होने की बात सामने आई है. एक साथ इतने मोबाइल नंबर स्विच ऑफ होने से एसटीएफ भी हैरत में आ गई है, उसे भी ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी. अब नई रणनीति बनाकर कॉल डिटेल के आधार पर इनका सुराग तलाशा जाएगा. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
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कहा जा रहा है कि जिस तेजी से एसटीएफ ने अतीक और उससे जुड़े लोगों को पूछताछ के लिए उठाया और जांच पड़ताल की, उसके बाद दूसरे लोगों को भी अपने गिरफ्त में आने का डर सताने लगा. खासतौर से जिस तरह से अतीक और अशरफ हत्याकांड को अंजाम दिया गया, उससे ये लोग जांच एंजेंसियों के दायरे में आने की संभावन से और डर गए. इसलिए एक के बाद एक इन लोगों ने अपने मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर दिए.
कहा जा रहा है कि अधिकांश लोग अपने घरों से भी लापता हैं. कई लोग पड़ोसी को बहाना करके चले गए हैं. इसके अलावा उन्होंने अतीक से संबंधित अपने लोगों से भी मोबाइल बंद करने को कहा. खास बात है कि एसटीएफ काफी समय से इन पर नजर बनाए हुए थे. इनसे इसलिए पूछताछ नहीं की जा रही थी कि अतीक के गुर्गे सर्तक ना हो जाएं. वहीं पुलिस टीम इंतजार कर रही थी कि इनमें से किसी का अतीक के गुर्गे से जैसे ही संपर्क हो, धड़पकड़ कर ली जाए. हालांकि अब अचानक इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल स्विच ऑफ होने से एसटीएफ को अपनी जांच के तरीके में बदलाव करना होगा.
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27 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के सुलेमसराय में हत्याकांड में शामिल 50 हजार के इनामी अरबाज को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया. अरबाज वारदात के दौरान क्रेटा कार चला रहा था.
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6 मार्च को हत्याकांड में शामिल दूसरे शूटर उस्मान चौधरी को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया. उस्मान वारदात के दौरान करीब की दुकान पर खड़ा था.उमेश पाल के पहुंचते ही उसने फायरिंग शुरू कर दी.
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एसटीएफ दिल्ली में तीन मददगारों तक पहुंची. इनके जरिए 13 अप्रैल को असद अहमद और गुलाम अहमद को झांसी में मुठभेड़ में घेरा गया और दोनों मारे गए
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26 फरवरी को पुलिस ने हत्याकांड का साजिशकर्ता सदाकत खान गोरखपुर से पकड़ा गया. पुलिस के मुताबिक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम हास्टल स्थित सदाकत खान के कमरे में हत्याकांड का षड्यंत्र रचा गया.
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28 फरवरी को सिविल लाइंस के ईट ऑन रेस्टोरेंट के मालिक नफीस अहमद को पुलिस ने हिरासत में लिया. वारदात में इस्तेमाल क्रेटा कार नफीस की निकली. हालांकि, उसने कार को कुछ दिन पहले अपने एक रिश्तेदार को बेच दिया था.
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10 मार्च को माफिया अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ से बरेली जिला जेल में अवैध तरीके से मुलाकात कराने के मामले में दो गुर्गों फुरकान और राशिद को गिरफ्तार किया.
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15 मार्च को हत्याकांड में पांच लाख के एक इनामी शूटर की प्रेमिका को पुलिस ने नैनी इलाके से हिरासत में लिया. हत्याकांड से पहले युवती शूटर से प्रतिदिन लंबी बात करती थी.
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18 मार्च को वारदात में प्रयुक्त क्रेटा कार के मौजूदा मालिक रुखसार अहमद पकड़ा गया.
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21 मार्च को पुलिस ने अतीक के दो करीबियों की निशानदेही पर अतीक के चकिया कर्बला स्थित दफ्तर पर छापेमारी की, जिसमें 74 लाख रुपये, 10 पिस्टल, 112 कारतूस के साथ पांच लोग पकड़े गए.