लखनऊ. उत्तर प्रदेश का मौसम करवट ले चुका है. मौसम में आए इस बदलाव से खेती भी प्रभावित हो रही है. वैज्ञानिकों ने एग्रोमेट एडवाइजरी के जरिए इसके नुकसान को कम करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. जालौन, ललितपुर, झांसी, बांदा, महोबा – हमीरपुर आदि कई जिला में गेहूं की फसल को चूहों से खतरा है. कृषि वैज्ञानिकों क सलाह है कि चूहों का प्रकोप दिखाई देने पर जिंक फॉस्फाइड या एल्युमीनियम फॉस्फाइड केक से बने चारे का प्रयोग करें. इससे चूरों को फसल का नुकसान करने से रोका जा सकेगा. किसानों को सामूहिक रूप से चूहों को रोकने की कोशिश करनी चाहिए. कन्नौज हाथरस, मथुरा, आगरा, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, कानपुर शहर उन्नाव, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, बीरी-लखीमपुर, काशीरामनगर में गेहूं की फसल लगभग पक गई है.
किसानों को परिपक्क गेहूं की फसलों की कटाई करके मड़ाई का काम तुरत करने की सलाह दी गयी है. गेहूं की फसल की कटाई के बाद गट्ठर तुरंत बांधना होगा. नहीं तो तेज हवा के कारण ताला न उड़े. मड़ाई शाम अथवा रात को करनी क्योंकि हवा शांत रहती है.देर से बोई गई गेहूं की फसल दुग्ध अवस्था में है. यानि दाना भर रहा है. नमी की कमी दूर करने के लिए किसानों को हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गयी है.
कृषि वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश के किसानों को सरसों की फसल में 85 प्रतिशत फलियां सुनहरी रंग आने पर काट लेने की सलाह दी है. साथ ही कटी हुई सरसों की फसल को एकत्र कर पॉलीथिन शीट से ढकने को कहा है. इससे फसल की सुरक्षा रहेगी. चना, मटर, मसूर की पकी फसल की कटाई में देरी भी किसानों के नुकसान का कारण बन सकता है. चना, मटर, मसूर की फसल पकी होने पर दाना फलियों से गिरने लगता है. इसके अलावा ग्रीष्म ऋतु की सब्जी लौकी, बैंगन, मिर्च, खीरा, कद्दू, टमाटर, खरबूजा, खरबूजा आदि की बुआई जल्दी से जल्दी करने को कहा है. जायद फसलों एवं सब्जियों में यूरिया संतुलित मात्रा में प्रयोग करने की जरूरत बतायी है.