छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर से शहीद जवानों के खून से लाल हो गयी. दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने एक बार फिर से बड़ी घटना को अंजाम दिया. सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे वाहनों के काफिले में शामिल एक वाहन को विस्फोट से उड़ा दिया गया. जिसमें 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. जबकि एक वाहन चालक की भी मौत हो गई. यह पहली बार नहीं है, जब छत्तीसगढ़ में गर्मी के मौसम में नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया हो. बल्कि इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं. दरअसल इस मौसम में नक्सली एक खास अभियान को अंजाम देते हैं.
हर साल मार्च से जून माह में नक्सली करते हैं बड़ा धमाका
दंतेवाड़ा समेत पूरे बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर मार्च और जून माह के बीच बड़ी संख्या में हमले हुए हैं. दरअसल हर साल मार्च और जून माह के मध्य गर्मी के मौसम में नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं. दरअसल इस दौरान पतझड़ का मौसम होता है. जंगलों में दूर तक नजर रखना आसान होता है. नक्सलियों का बड़ा विंग पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) एक्टिव हो जाता है. इस दौरान नये लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जाती है. इस दौरान नक्सली ट्रेनिंग के साथ-साथ सुरक्षाबलों पर हमला करते हैं.
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तीन अप्रैल 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था. इस हमले में 22 जवान शहीद हुए थे.
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21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे.
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नौ अप्रैल, 2019 को दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे तथा सुकमा में 24 अप्रैल, 2017 को बुरकापाल हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मृत्यु हुई थी.
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वर्ष 2010 में ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा में) में हुए सबसे बड़े नक्सली हमले जिसमें 76 जवानों की मृत्यु हुई थी वह भी टीसीओसी के दौरान अप्रैल माह में हुआ था.
नक्सलियों ने ऐसे दिया घटना को अंजाम
छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों पर माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला है. बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान पर निकले जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दल पर नक्सलियों ने दोपहर एक बजे से 1:30 बजे के बीच विस्फोट किया, इस घटना में 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए तथा एक वाहन चालक की मृत्यु हो गई. बस्तर क्षेत्र के ज्यादातर युवाओं को डीआरजी में भर्ती किया गया है। यह दल नक्सलियों से लड़ने में माहिर माना जाता है और इस दल में कुछ आत्मसमर्पित नक्सली भी हैं. सुंदरराज ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान में शामिल होने के बाद दस जवान एक मल्टी यूटिलिटी व्हीकल से दंतेवाड़ा लौट रहे थे, जब वह अरनपुर और समेली गांवों के बीच में थे तभी नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया.