मनुष्य के जीवन में आ रहे उतार-चढ़ाव लगा रहता है. इसके लिए उसकी कुंडली में मौजूद ग्रहों को शुभ और अशुभ घर में उपस्थित होना माना जाता है. ग्रहों के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इन प्रभाव को कम करने के लिए कई प्रकार के रत्न धारण करने की सलाह भी दी जाती है.ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा का कहना है कि रत्न राशि के जातकों के लिए शुभ होता है.आइए जानते हैं नीलम किसे धारण करना चाहिए और इसको धारण करने की क्या विधि है.
नीलम रत्न बहुत ही प्रभावित करने वाला रत्न है. इस रत्न का स्वामी शनि होता है . प्रत्येक राशि में शनि अलग -अलग फल देते है. इसे ज्ञान रत्न” के रूप में भी जाना जाता है. लोगों का मानना है कि नीलम अवांछित विचारों, मानसिक बाधाओं और समग्र भ्रम को दूर करता है. वे एकाग्रता को उत्तेजित करते हैं और तनाव को कम करते हैं. समय की शुरुआत के बाद से, उनका उपयोग शरीर में संतुलन बहाल करने, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संरेखित करने और मन की शांति लाने के लिए किया जाता रहा है. नीलम में चमक कम होता है .नौ रत्नों में नीलम को सबसे शक्ति शाली रत्न माना जाता है. ये न्याय के देवता शनि ग्रह का रत्न है. ऐसा माना जाता है कि इस रत्न को पहनने से जातक रातों रात रंक से राजा बन सकता है. क्योंकि नीलम रत्न की शक्ति ही ऐसी है कि ये गरीब से अमीर बना सकता है. वैसे तो सैफायर कई रंगों में आता है .नीलम का प्रभाव बहुत जल्दी असर करता है. इसलिए नीलम धारण करने से पहले कुंडली दिखा कर अगर धारण करे बेहतर लाभ मिलता है .
मेष ,वृष ,तुला एवं वृश्चिक लगन वाले अगर नीलम धारण करते हैं तो उनका भाग्य उदय होता है. शनि मकर ,कुम्भ का स्वामी है. इसके प्रधान व्यक्ति को अवश्य नीलम धारण करना चाहिए .
(1 )यदि जन्मकुंडली में शनि चौथे ,पाचवे ,दसवे ,गयारह भाव में रहे तो नीलम धारण करना चाहिए .
(2)शनि अपने भाव से छठे या आठवे स्थान पर हो नीलम धारण करना चाहिए .
(3) अगर कुंडली में शनि वक्री या अस्तगत हो कमजोर हो शुभ भाव को देख रहा है तो नीलम धारण करे .
(4)जो लोग शनि ग्रह का प्रधान व्यक्ति है उन्हें नीलम धारण किया जा सकता है .
(5) क्रूर काम करने वाले को नीलम धारण करना चाहिए .
(6)वृष लगन के लिए शनि नवम एवं दशम भाव का स्वामी होने के कारण अत्यंत शुभ तथा योगकारक ग्रह माना जाता है इसलिए इस लगन को नीलम धारण करना चाहिए .
(7)मिथुन लगन वाले लोग अगर नीलम रत्न धारण करते है शनि अष्टम और नवम भाव का स्वामी है इसलिए शनि की महादशा में नीलम धारण करे लाभ मिलेगा .
(8)कन्या लगन वाले शनि पंचम और छठे भाव का स्वामी है पंचम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण शनि शुभ नहीं माना गया है. इस लगन के लोग केवल शनि की
महादशा में ही नीलम धारण कर सकते है.
(9)तुला लगन में शनि चर्तुथ एवं पंचम भाव का स्वामी है साथ में तुला लगन के स्वामी शुक्र और शनि मित्र है अगर ये नीलम धारण करे तो उतम लाभ होता है .
(10)मकर लगन में शनि दुसरे भाव के स्वामी इस लगन के लोग को हमेशा नीलम धारण करे धन का लाभ होगा .
(11)कुम्भ लगन में शनि प्रथम और बारह भाव का स्वामी है ये अशुभ फलदायी है लगनेश होने के कारण लाभकारी होता है इसका मूल त्रिकोण राशि लगन में पड़ती है .इसलिए इस लगन के लोगो को नीलम धारण करने से सुख -सौभाग्य बढ़ जाती है.
नीलम का प्रयोग शनिवार के दिन पंचधातु या सोने की अंगूठी में बनवाकर सूर्यास्त से दो घंटे पहले मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए नीलम का वजन कम से कम 5 रती का होना चाहिए. रत्न धारण करने के पहले ॐ शं शनैशचराय नमः मंत्र का 23 हजार जाप करे.
यदि शनि चन्द्र कुंडली में बारह भाव में अगर स्थित हो तो इसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है .शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है उसका पूरा भ्रमण साढ़े सात वर्ष में पूरा होता है .यदि किसी व्यक्ति का साढ़ेसाती ज्यादा कष्टकारी हो तो नीलम धारण कर सकते है .
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847