Bihar News: मधेपुरा जिले के कई प्रखंडों में लगभग बीते दस वर्षों से नीलगाय के आतंक से किसान परेशान थे. इस परेशानी से किसानों को अब निजात मिल जायेगी. इसकी शुरुआत जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत साहूगढ़ पंचायत से की गयी है. मालूम हो कि नीलगाय, जिसे स्थानीय भाषा में घोर गधा या घोड़परास कहा जाता है. यह एक जंगली पशु है, जो दर्जनों की संख्या में झुंड बनाकर एक साथ किसानों के खेतों में यत्र-तत्र विचरण करते हैं, जिस दौरान थोड़ी फसल को खाते हैं तो ज्यादा फसलों को पैरों से कुचल कर बर्बाद कर देते हैं.
नीलगाय के आतंक से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो कभी-कभी निहत्थे किसानों पर नीलगाय वार भी कर देती है, जिससे कई बार किसान घायल भी हुए हैं. इस समस्या को लेकर वन विभाग के अधिकारियों को लगातार आवेदन दिया जा रहा था. जिसके बाद किसानों की समस्या को दूर करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों की पहल पर सरकार ने नीलगाय को मारने का आदेश दिया. सरकार का आदेश प्राप्त होने के बाद हैदराबाद से आये शूटरों की टीम ने स्थानीय जनप्रतिनिधि व वन विभाग के अधिकारी तथा किसानों के साथ समन्वय बनाकर नीलगाय को मारने का अभियान शुरू किया गया.
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अभियान के तहत पहले दिन यानी बुधवार को शाम तक 13 नीलगायों को ढेर कर दिया गया. फॉरेस्टर रेणु कुमारी ने बताया कि वन व पर्यावरण विभाग की ओर से प्राप्त निर्देश पर सदर प्रखंड के साहूगढ़ वन पंचायत के बहियार में यह अभियान चलाया जा रहा है. जिस अभियान के तहत तीन-चार दिनों तक इस क्षेत्र में कैंप किया जायेगा और किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले नीलगायों को मार गिराया जायेगा. जानकारी के अनुसार बुधवार को पूरे दिन चले अभियान के कारण नीलगाय का झुंड इधर-उधर भाग गयी, अब दस दिन बाद फिर से यह अभियान चलाया जायेगा.
नीलगाय को मारने के अभियान शुरू होने से स्थानीय किसानों ने राहत की सांस ली है. किसानों ने बताया कि बीते दस वर्षों से लगातार फसलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. खेती के समय में कर्ज लेकर खेती तो करते हैं, लेकिन फसल तैयार होते-होते अधिकांश फसल नीलगायों के कारण बर्बाद हो जाता है. जिससे हम किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन सरकार व वन विभाग द्वारा किये जा रहे इस अभियान से उन्हें राहत मिलेगी और अब फसल बर्बाद होने से बच जायेगी.
Published By: Thakur Shaktilochan