12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

May Day 2023: झारखंड में BCCL-CCL में कामगार महिलाएं बनीं मिसाल, बनाई अपनी अलग पहचान

कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी बीसीसीएल और सीसीएल में ऐसी कई महिला कामगार मिलेंगी, जो पुरुषों के समान बड़ी-बड़ी मशीनें चला रही हैं.

बीते कुछ वर्षों में महिलाएं गैर-पारंपरिक आजीविका के क्षेत्रों में भी जुड़ने लगी हैं. बहुत बड़ी संख्या में तो नहीं, लेकिन महिलाओं का खनन क्षेत्र, सेना, निर्माण कार्य, ड्राइविंग, मैकेनिक जैसे पुरुष वर्चस्ववाले कार्यों में आना ही श्रम को जेंडर के आधार पर बांटने की सोच को तोड़ता है. कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी बीसीसीएल और सीसीएल में ऐसी कई महिला कामगार मिलेंगी, जो पुरुषों के समान बड़ी-बड़ी मशीनें चला रही हैं.

सीसीएल के ढोरी एरिया की अमलो परियोजना में कुन्नी कुमारी, चरकी कुमारी, तुलसी कुमारी और गंगा देवी अपने हौसले के बल पर चपरासी से मशीन ऑपरेटर तक का सफर तय किया है. ये पुरुषों के लिए भी कठिन कही जानेवाली एलकॉन, आइआर, ब्लैक डायमंड, न्यू बीडब्लूएफ व ऑल्ड बीडब्लूएफ मशीनें ऑपरेट कर रही हैं. धनबाद से मनोहर और राकेश की रिपोर्ट…

तुलसी कुमारी : साथी कामगारों को देख मिली मशीन चलाने की प्रेरणा

तुलसी कुमारी अमलो प्रोजेक्ट के 12 नंबर में चपरासी थीं. छह साल से क्रशर मशीन चला रही हैं. कहती हैं कि प्रबंधन ने अचानक मशीन ऑपरेट करने की जिम्मेवारी दी, तो डर गयी, लेकिन साथी कामगारों को देखकर सीखने की प्रेरणा मिली. आज आसानी से मशीन ऑपरेटर कर लेती हैं. 1996 में मां सोनी देवी के निधन के बाद नौकरी मिली थी.

कुन्नी कुमारी : मशीन ही नहीं चलातीं उसकी मरम्मत भी कर लेती हैं

कुन्नी कुमारी आठ-नौ साल से फीडर ब्रेकर मशीन चला रही हैं. पहले अमलो साइडिंग में चपरासी थीं. कहती हैं कि वर्ष 2016 में ढोरी के तत्कालीन जीएम एम कोटेश्वर राव ने मशीन चलाना सीखने के लिए प्रेरित किया. पहले दिन मशीन ऑपरेटर करने में हिचकिचायी. पर धीरे-धीरे सीख गयी. अब तो मशीन की तकनीकी खराबी भी ठीक कर लेती हूं.

रामरती देवी : बेहतर कार्य क्षमता के लिए कई बार हो चुकी हैं पुरस्कृत

शॉवेल ऑपरेटर रामरती देवी बताती हैं कि पति के निधन के बाद 2002 से शॉवेल मशीन चला रही हैंं. करीब 10 वर्षों तक बीसीसीएल के ऐना फायर पैच में शॉवेल चलाया. अभी कुसुंडा एरिया के धनसार स्थित विश्वकर्मा परियोजना में शॉवेल चलाती हूं. बेहतर कार्यक्षमता के लिए कई बार बीसीसीएल प्रबंधन ने इन्हें पुरस्कृत भी किया है.

चरकी कुमारी : सीखने की ललक ने दी हिम्मत, चला रहीं फीडर ब्रेकर

चरकी कुमारी छह साल से फीडर ब्रेकर मशीन चला रही हैं. कहती हैं कि पहले अमलो प्रोजेक्ट में चपरासी थीं. फीडर ब्रेकर मशीन ऑपरेटर करने की जिम्मेवारी मिली, तो पहले दिन डर लगा, लेकिन सीखने की ललक से सीख गयी. वर्ष 1993 में पिता मोहन बाउरी के निधन के बाद नौकरी मिली थी. अभी रेलवे गेट, फुसरो में परिवार के साथ रहती हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें