Lucknow : यूपी में शातिर अपराधियों के खिलाफ पुलिस का अभियान लगातार जारी है. अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस लगातार उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और हिस्ट्रीशीट खोलने की कार्रवाई कर रही है. जिससे कि उन पर लगातार नजर रखी जा सके. वहीं बाहुबली मुख्तार अंसारी और उसके भाई सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में दोषी करार दिया है.
इस मामले में मुख्तार को 10 साल की सजा और अफजाल को 4 साल की सजा मिली है. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण के बाद दोनों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
वहीं पूर्व डीजीपी एके जैन ने बताया कि प्रदेश में गिरोहबंद और समाज विरोधी अपराध को रोकने के लिए कोई अन्य कानून नहीं है, इसलिए वर्तमान सरकार “यूपी गैंगस्टर्स एक्ट” के तहत आभ्यासिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करवाती है. जिसका एसपी सीटी आगरा रहने के दौरान गैंगस्टर्स एक्ट के तहत पहला मामला दर्ज कराया था. इस अधिनियम को आभ्यासिक अपराधियों द्वारा प्रदेश में किए जा रहे संगठित अपराध पर अंकुश लगाने के लिए 1986 में बनाया गया था.
एके जैन ने आगे बताया कि अस्सी के दशक में अपराधियों ने गिरोह बनाकर आय दिन नए नए अपराध को अंजाम देना शुरू कर दिया था. जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986 पारित किया था. उन्होंने आगे बताया कि यहां ‘गिरोह’ शब्द का मतलब कई व्यक्तियों के एक समूह से है, जो अकेले या सामूहिक रूप से किसी हिंसा को अंजाम देते हैं या किसी को डराने-धमकाने का काम करते हैं और किसी भी अनुचित लाभ के लिए सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करते हैं. अधिनियम में परिभाषित ‘गैंगस्टर’ ऐसे गिरोह का नेता था.
पूर्व डीजीपी ने कहा कि इस कानून के तहत मैंने ज्यादातर मामले दर्ज किए थे, जिसमें चेन स्नेचिंग, ऑटो लिफ्टिंग और भी कई अन्य अपराध शामिल थे. इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है, जिसमें पुलिस बनाम प्रशासन पर नियंत्रण और संतुलन शामिल है. डीएम को गैंग दर्ज करने और साथ ही एफआईआर करने से पहले एसएसपी द्वारा पहले से दी गई रिपोर्ट पर विचार करने के लिए कहा गया है. रिटायर्ड डीजीपी ने विस्तार से बताया कि प्रदेश में मकोका और गुजकोका जैसे अधिनियम के अभाव में यूपी गैंगस्टर अधिनियम अपराध पर अंकुश लगाने के लिए प्रासंगिक है.
उन्होंने आगे बताया कि इस कानून में अपराधी द्वारा अपराध के दौरान कब्जा किए गए संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान है. इस में चल और अचल दोनों संपत्ति शामिल है. वो संपत्ति भले ही किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में हो. इस तरह के अपराध भले ही किसी अदालत के संज्ञान में हो या न हो मगर, प्रशासन कार्रवाई कर सकती है. उन्होंने आगे कहा कि इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अभियुक्त को दो साल से लेकर अधिकतम दस साल तक की सजा दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट में इस अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ दिसंबर 2022 में चुनौती दी गई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.