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UP Municipal Election 2023: पहले चरण के मेयर पदों पर BJP थी का​बिज, अब मंत्रियों की साख दांव पर, जानें समीकरण

UP Municipal Election 2023: यूपी निकाय चुनाव वर्ष 2017 में पार्टी ने 16 में से 14 नगर निगमों में कब्जा जमाया था. इससे पहले 2012 में भाजपा ने 12 में से 10 नगर निगमों में जीत हासिल की थी. पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, सहारनपुर, झांसी गोरखपुर और प्रयागराज शामिल हैं.

UP Municipal Election 2023: यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर प्रथम चरण में सत्ता और विपक्ष दोनों ने ही अपनी अपनी जीत के दावे किए हैं. भाजपा के लिए मेयर पद की ये सभी सीटें इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पिछली बार इन सभी पर उसका कब्जा था. वहीं विपक्ष इस बार यहां अपना खाता खोलने की कोशिश में जुटा है. भाजपा के करीब 24 से अधिक मंत्रियों की प्रतिष्ठा प्रथम चरण में दांव में लगी है. इन्हें न सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिलानी है, बल्कि जहां के ये प्रभारी हैं, वहां भी कमल खिलाना है.

यूपी निकाय चुनाव वर्ष 2017 में पार्टी ने 16 में से 14 नगर निगमों में कब्जा जमाया था. इससे पहले 2012 में भाजपा ने 12 में से 10 नगर निगमों में जीत हासिल की थी. पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, सहारनपुर, झांसी गोरखपुर और प्रयागराज शामिल हैं. इस बार शाहजहांपुर को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद कुल 17 निगमों में चुनाव हो रहे हैं. इनमें पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, सहारनपुर, झांसी गोरखपुर और प्रयागराज शामिल हैं. खास बात है कि पार्टी ने मुरादाबाद को छोड़कर कहीं भी चेहरा दोहराया नहीं है. इस बारर समीकरण बदलने के कारण पार्टी को कहीं अपनों से चुनौती मिल रही है तो कहीं विपक्ष की रणनीति की काट निकालना भी उसके लिए आसान नहीं है.

लखनऊ में भाजपा के गढ़ में सपा की सेंध लगाने की तैयारी

लखनऊ में भाजपा ने सुषमा सुषमा खर्कवाल और सपा ने वंदना मिश्रा को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस से संगीता जायसवाल, बसपा से शाहीन बानो और आम आदमी पार्टी से अंजू भट्ट मेयर की प्रत्याशी है. लखनऊ नगर निगम सीट भाजपा के कब्जे वाली मानी जाती है. इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है.

काशी में भाजपा और सपा के बीच ​टक्कर

वाराणसी में भाजपा से काशी के क्षेत्रीय मंत्री अशोक तिवारी मैदान में हैं. उनका मुकाबला सपा के ओमप्रकाश सिंह से है. ओमप्रकाश सिंह का परिवार निकाय चुनाव की राजनीति करता रहा है. हालांकि नगर निगम पर पिछली बार भाजपा ने जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता और बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके अनिल श्रीवास्तव को उम्मीदवार बनाया है. यहां भी मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है.

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प्रयागराज में अभिलाषा का टिकट काटे जाने के बाद गणेश केसरवानी पर नजरें

प्रयागराज में भाजपा ने इस बार गणेश केसरवानी को टिकट दिया है, जबकि सपा ने अजय श्रीवास्तव, बसपा ने शहीद अहमद, कांग्रेस ने प्रभा शंकर मिश्र और आम आदमी पार्टी ने मोहम्मद कादिर को मैदान में उतारा है. प्रयागराज में निकाय चुनाव पर सत्ता और विपक्ष दोनों की नजरें टिकी हुई हैं. वर्ष 2012 के चुनाव में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता ने बसपा के समर्थन से मेयर पद का चुनाव जीता था. इसके बाद 2017 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की. इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर गणेश केसरवानी को उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में इसका विरोध भी किया गया. अब सबकी नजरें चुनाव के बाद आने वाले नतीजे पर टिकी हुई हैं.

सीएम योगी के जनपद गोरखपुर में भाजपा का सपा से मुकाबला

गोरखपुर से भाजपा ने शहर के सुप्रसिद्ध पैथालाजिस्ट डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है. वहीं सपा से काजल निषाद मैदान में हैं. काजल 2022 के विधानसभा में भी कैंपियरगंज से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि ह हार गईं थीं. मुख्यमंत्री का गृह जनपद होने के कारण यहां के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी हुई है. डॉ. मंगलेश को सीएम योगी का करीबी भी माना जाता है. भाजपा ने यहां जीत के लिए प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

आगरा में इस बार आसान नहीं है भाजपा की राह

आगरा से मेयर पद के लिए भाजपा की हेमलता दिवाकर कुशवाह का मुकाबला बसपा की लता बाल्मीकि से माना जा रहा है. भाजपा ने कई बड़े नामों को दरकिनार करते हुए हेमलता दिवाकर कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी उनके जरिए अनुसूचित और पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. हालांक तीन दशकों से आगरा की सरकार पर कब्जा जमाए बैठी भाजपा की राह इस बार आसान नहीं दिख रही है. बीएसपी की प्रत्याशी लता बाल्मीकि ने समाज में पैठ बनाने में पुरजोर कोशिश की है. खटीक समाज की बेरुखी और वाल्मीकि, जाटव और मुस्लिम गठजोड़ निकाय चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकता है.

सहारनपुर में मुस्लिम मत तय करेंगे सियासी समीकरण

सहारनपुर में भाजपा ने डॉ. अजय कुमार सिंह, बसपा ने खदीजा मसूद, सपा ने नूर हसन मलिक को टिकट दिया है. खदीजा इमरान मसूद की भाभी हैं, जबकि नूर विधायक आशु मलिक के भाई हैं. मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच माना जा रहा है. इस सीट पर मुस्लिम मतों का रुझान नतीजे पर काफी हद तक असर डालेगा. ऐसे में भाजपा चुनाव को कितना अपने पक्ष में करने में सफल होती है या फिर विपक्ष के समीकरण सफल होंगे, इस पर नजरें टिकी हुई हैं.

झांसी में भाजपा की हैट्रिक लगाने की कोशिश, सपा दे रही चुनौती

झांसी मेयर सीट के लिए भाजपा और सपा के बीच मुकाबला माना जा रहा है. भाजपा ने मऊरानीपुर विधानसभा सीट अपना दल के खाते में जाने के बाद यहां से प्रत्याशी रहे पूर्व राज्य मंत्री बिहारी लाल आर्य को उम्मीदवार बनाया है. वहीं सपा से सतीश जकारिया मैदान में हैं. वह लगातार भाजपा को घेरने में जुटे हैं. भाजपा बीते दो चुनावों से यहां पर काबिज है. इस बार भी मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है.

फिरोजाबाद में भाजपा को बागी से मिल रही चुनौती

फिरोजाबाद से भाजपा प्रत्याशी कामिनी राठौर, सपा से मशरूर फातिमा और बसपा की रुखसाना बेगम मैदान में हैं. सपा की मशरूर फातिमा पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर थीं. हालांकि तब उन्होंने एआईएमआईएम प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. वर्तमान में इस सीट पर भाजपा को बागी उज्जवल गुप्ता से चुनौती मिल रही है.

मथुरा वृंदावन मेयर सीट पर दिलचस्प नजारा

मथुरा वृंदावन सीट पर बेहद दिलचस्प नजारा है. यहां जिसे कांग्रेस का चुनाव चिह्न मिला है, उसे पार्टी ने अपना प्रत्याशी नहीं माना है. इसी तरह से जिसे सपा का चुनाव निशान मिला है, उससे पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. कांग्रेस ने राजकुमार रावत को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. लेकिन, अधिकृत प्रत्याशी होने के बावजूद वह ‘हाथ’ विहीन हैं. वहीं सपा-रालोद ने तकनीकी रूप से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ रहे कांग्रेस समर्थित राजकुमार रावत को समर्थन कर दिया है. यहां से भाजपा के विनोद अग्रवाल मैदान में हैं.विनोद अग्रवाल राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सुनील बंसल के रिश्तेदार हैं. उनके नामांकन के दौरान स्थानीय सांसद हेमा मालिनी भी मौजूद थीं.

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