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मिजिल्स-रूबेला वैक्सीनेशन अभियान में झारखंड में 5वें स्थान पर देवघर, सिविल सर्जन ने कहा- जल्द मिलेगा पहला नंबर

साल 2022 में केंद्र सरकार ने झारखंड में खसरा की स्थिति चिंताजनक बताई थी. जिसके बाद इस पर काबू पाने के लिए पूरे राज्य में मिजिल्स-रूबेला वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की गई. इस अभियान में देवघर 5वें स्थान पर है. सिविल सर्जन ने दावा किया है कि जल्द देवघर को पहला नंबर मिलेगा.

देवघर जिला में 12 अप्रैल से मिजिल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से 9 माह से 15 साल तक के 5,50,013 बच्चों व किशोरों को टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया था. इसमें 12 अप्रैल से 2 मई तक 2,96,640 बच्चों व किशोरों को टीकाकरण किया जा चुका है, यानी अबतक जिला में लक्ष्य का 54 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है.

सिविल सर्जन ने कहा जल्द ही पहला स्थान प्राप्त करेगा देवघर

सिविल सर्जन डॉ यूके चौधरी ने बताया कि देवघर जिला टीकाकरण अभियान में राज्य में पांचवें स्थान पर है. जल्द ही पहला स्थान प्राप्त कर लिया जायेगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अभियान में लक्ष्य के अनुसार सबसे अधिक पालाजोरी प्रखंड में 37,920 बच्चों व किशोरों को टीकाकरण किया है, जो 64 प्रतिशत है. वहीं सबसे कम सारवां प्रखंड क्षेत्र में 28,559 बच्चों व किशोरों को टीकाकरण किया गया है, जो 46 प्रतिशत है.

अब तक किस प्रखंड में कितना हुआ टीकाकरण

  • देवीपुर- 23,598

  • पालाजोरी- 37,920

  • देवघर शहरी- 29,658

  • सारठ- 32,847

  • सारवां- 28,559

  • मधुपुर- 37,572

  • जसीडीह- 39,338

  • मोहनपुर- 37,657

  • करौं- 29,601

झारखंड में खसरा की स्थिति चिंताजनक

बता दें कि साल 2022 के आखिरी महीनों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर में मिजिल्स यानी खसरा के प्रकोप पर चिंता जताई थी. वहीं, झारखंड में खसरा की स्थिति चिंताजनक है. बताया गया कि पूरे देश में खसरा के प्रकोप के जितने मामले सामने आये हैं, उसमें से आधे झारखंड के ही हैं. जिसके बाद झारखंड में भी मिजिल्स को लेकर टीकाकरण की प्रक्रिया तेज की गई.

क्या है खसरा और कितना है इससे खतरा

खसरा या मिजिल्स एक संक्रामक बीमारी है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है. खसरा होने पर पूरे शरीर में लाल चकते उभर आते हैं. खसरा होने पर शुरुआत में सिर पर लाल दाने दिखने लगते हैं. उसके बाद धीरे-धीरे पूरे शरीर में यह फैल जाता है. मामलू हो खसरा को रूबेला भी कहा जाता है. खसरा केवल मनुष्यों में होता है, जो अन्य जीवों में नहीं फैलता है. यह अनुवांशिक रोग भी हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में 6 प्रकार के अनुवांशिक खसरा रोग हैं.

खसरा के लक्षण

  • तेज बुखार

  • सूखी खांसी

  • लगातार नाक बहना

  • गले में खरास

  • आंखों में सूजन

  • शरीर पर लाल चकता दिखना

इन्हें खसरे से अधिक खतरा

खसरा खासकर वैसे लोगों को होता है, जिन्होंने इसका टीका नहीं लिया. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय यात्रा भी इसका कारक बन सकता है. विटामिन ए की कमी से भी खसरा होने का खतरा रहता है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों को खसरा अपनी चपेट में लेता है. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में भी खसरा होने की अधिक संभावना होती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से भी खसरा का खतरा बढ़ जाता है.

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