Lucknow: पूर्व आईपीएस अफसर अरविंद सेन को पशुपालन घोटाले में बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उन्हें इस प्रकरण में जमानत दे दी है. अरविंद सेन ने अपने वकील के जरिए विगत 27 अप्रैल को जमानत के लिए अपील की थी. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके सिंह की अदालत ने वादी को गबन के 20 लाख रुपये जमा करने का आदेश दिया.
प्रदेश के इस बहुचर्चित मामले में अरविंद सेन 27 जनवरी 2021 से लखनऊ जेल में है. इस तरह दो साल बाद उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हुआ है. इससे पहले पशुपालन घोटाले में 17 आरोपियों में से अब तक चार आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. जमानत पाने वालों में सुनील गुर्जर की भूमिका नहीं होने पर हाईकोर्ट की बेंच ने जमानत दी थी.
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ही करीब तीन महीने पहले सचिन वर्मा को गबन के 18 लाख रुपये जमा कराने के बाद सशर्त जमानत दी थी. एक अन्य आरोपी एके राजीव को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल चुकी है. इस तरह सचिन वर्मा के बाद अब अरविंद सेन गबन के रुपये जमा कराने के बाद जेल की सलाखों के बाहर आ सकेंगे.
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इस प्रकरण की बात करें तो पूर्व आईपीएस अफसर अरविंद सेन पर पशुपालन विभाग में आपूर्ति के नाम पर इंदौर के कारोबारी से करोड़ों रुपये हड़पने के आरोपियों को बचाने के लिए 35 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. इसे लेकर कारोबारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने 13 जून, 2020 को लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी.
इसकी तहरीर में कहा गया कि अप्रैल 2018 में आरोपियों ने पशुपालन मंत्री के करीबी और उपनिदेशक पशुपालन एसके मित्तल द्वारा उन्हें गेहूं, आटा, शक्कर और दाल की सप्लाई का ठेका देने की पेशकश की. ठेके के लिए आरोपियों ने मंजीत सिंह से 9.72 करोड़ की रिश्वत ली. इसके बाद भी उन्हें ठेका नहीं मिला. इसके बाद मंजीत भाटिया ने जब रुपये वापस करने का दबाव बनाया तो आशीष राय ने अरविंद सेन से मुलाकात की. इसके बाद अरविंद सेन ने 50 लाख रुपये मांगे. बाद में डील 35 लाख में तय हुई. इसमें 5 लाख रुपये अरविंद सेन के खाते में जमा कराए गए और बाकी रकम बाद में नकद दी गई. इस प्रकरण में 27 जनवरी 2021 को अरविंद सेन को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.