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प्रभात खबर संवाद में प्राचार्यों ने दी अपनी राय, रांची को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ाने के लिए तीन ‘C’ जरूरी

रांची के होटल कैपिटल हिल में आयोजित प्रभात खबर के संवाद में शामिल प्राचार्यों ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रांची की स्कूली शिक्षा की पहचान है. इसे आगे और कैसे बेहतर किया जाये और उच्च शिक्षा में भी कैसे नयी पहचान बने, इसपर सबको मिलकर काम करना होगा.

रांची को शिक्षा का हब कैसे बनाया जाये विषय पर गुरुवार को प्रभात संवाद हुआ. इसमें राजधानी के विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षक शामिल हुए. होटल कैपिटल हिल में आयोजित प्रभात खबर के संवाद में शामिल प्राचार्यों ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रांची की स्कूली शिक्षा की पहचान है. इसे आगे और कैसे बेहतर किया जाये और उच्च शिक्षा में भी कैसे नयी पहचान बने, इसपर सबको मिलकर काम करना होगा. कम्युनिकेशन, कोलैब्रेशन और क्रिटिकल थिंकिंग पर फोकस जरूरी है.

बच्चों की बातों को सुनना होगा: आशुतोष चतुर्वेदी

प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि बच्चों के जीवन में 10वीं और 12वीं का समय परिवर्तन का वक्त होता है. इस दौरान काफी बदलाव आते हैं. इस समय उनसे संवाद की आवश्यकता होती है. हमें उनकी बातों को सुनना चाहिए. आज तकनीक का युग है, जो दोतरफा तलवार के समान है. इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं. आनेवाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव और अधिक बढ़ेगा. इस पर विचार करने की आवश्यकता है. आज बच्चे पहले की तुलना अधिक तनाव में रहते हैं. स्थिति यह है कि पिछले दिनों आंध्र प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के बाद नौ बच्चों ने आत्महत्या कर ली. यह चिंतनीय बात हैं. यह कैसे रुके इसपर सबको विचार करना होगा.

असफलता ही सीखने की पहली सीढ़ी है : आरके दत्ता

प्रभात खबर के कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता ने कहा कि स्कूली शिक्षा से बच्चों का प्राथमिक स्तर का ज्ञान हासिल होता है. स्कूल ही एक ऐसी जगह है, जहां जीवन के लक्ष्य तय किये जाते हैं. एक जमाना था जब हम इंटरनेट के बिना भी खुश थे. आज यह हरेक गतिविधि का हिस्सा बन चुका है. स्कूल का मूल दायित्व बच्चों का नैतिक, शारीरिक और व्यक्तिगत विकास करना है. शिक्षक बच्चों को तनाव मुक्त कैसे कर सकते हैं, इसकी पहल करें. पढ़ने के साथ-साथ लिखने की रुचि बढ़े, इसके लिए लाइब्रेरी से जोड़ें. बच्चों को कभी यह अहसास नहीं होने दें कि वह फेल हो गये हैं. उन्हें समझाना होगा कि फेल होना ही फर्स्ट अटेंप्ट इन लर्निंग है.

पलायन रोकना होगा, आर्थिक स्थिति सुधरेगी: विजय बहादुर

प्रभात खबर के वाइस प्रेसिडेंट विजय बहादुर ने कहा कि उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए काफी संख्या में बच्चे दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं. झारखंड में उच्च शिक्षा के बेहतर संस्थान हों, तो बच्चे बाहर नहीं जायेंगे. राज्य से जो पैसा बाहर जाता है, वह यहीं रहेगा. अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम होगा. साथ ही यहां की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी. अविभाजित समय से ही झारखंड में शिक्षा का स्तर बेहतर रहा है. इस अवसर पर प्रभात खबर के सीएफओ आलोक पोद्दार, एजीएम झारखंड राजीव स्वरूप मंडल उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन डिप्टी मैनेजर मार्केटिंग अर्चना मल्होत्रा ने किया.

प्राचार्यों ने दी अपनी राय

राज्य में 12वीं के बाद शिक्षा के अवसर को करियर के अनुरूप ढालने की जरूरत है. शैक्षणिक माहौल के लिए लर्निंग बाई डुइंग के कंसेप्ट को उद्यमिता से जोड़ना होगा. एजुकेशन हब की परिकल्पना सार्थक बनाने के लिए शिक्षा को कल्चर के रूप में विकसित करनी होगी.

– रंजीत कुमार, संत माइकल्स स्कूल

सूचना के साथ बदलाव की पहल ही जीवन का लक्ष्य हो. इससे जरूरी शिक्षा से जुड़ना आसान होगा. शैक्षणिक संस्थान शिक्षा देनेवाली फैक्ट्री न बनकर, बच्चों को प्रशिक्षण युक्त शिक्षा दें. इससे नये विचार का विकास हो सकेगा.

– डॉ सुभाष कुमार, टॉरियन वर्ल्ड स्कूल

नये शिक्षण संस्थान तैयार हो रहे हैं. इनकी गुणवत्ता का आकलन बच्चे व अभिभावक स्वयं कर सकते हैं. लक्ष्य तय कर शिक्षा से जुड़ेंगे, तो भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है. बच्चों को नौकरी से जुड़ने की जगह स्वावलंबी बनाना होगा.

– डॉ सुफल एक्का, डब्ल्यू जॉन मल्टीपर्पस स्कूल

शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक-मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो, तो सभी शिक्षण संस्थान अपनी पहचान बना सकते हैं. बच्चों को शिक्षा देकर आत्मनिर्भर बनाना ही लक्ष्य होना चाहिए. बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल करें, इसके लिए धैर्य विकसित करायें.

– कृष्णा शुक्ला, योगदा सत्संग स्कूल

एजुकेशन हब तैयार होने से बच्चों की क्षमता को बेहतर अवसर मिलेगा. शिक्षक सभी बच्चों को समान अवसर देंगे. नेतृत्वकर्ता की क्षमता विकसित होगी. आनेवाले समय में युवा वर्ग को प्रशिक्षण युक्त शिक्षा से जोड़ना होगा. इसमें डिजिटल शिक्षा सहयोगी बनेगी.

– पर्णा घोष, जेके इंटरनेशनल स्कूल

नयी शिक्षा नीति को अपनाकर राज्य को एजुकेशन हब में बदला जा सकता है. स्कूल के कार्यक्रम से ही बच्चों को लक्ष्य देने का काम हो. इसके लिए दक्ष शिक्षक की टीम तैयार कर प्रशिक्षण देना होगा. इससे बच्चे स्वत: रोजगार के अवसर तैयार कर सकेंगे.

– रेखा नायडू, मनन विद्या

शिक्षा की एक व्यवस्थित प्रणाली होनी चाहिए, जिसका सीधा लाभ बच्चों को मिले. एजुकेशन हब का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ प्रशिक्षण से प्रेरित करना है. सभी स्कूल मिलकर बच्चों के सर्वांगीण विकास की पहल करें.

– राफिया नाज, मेटास एडवेंटिस्ट स्कूल

शैक्षणिक संस्थान को-करिकुलर एक्टिविटी पर ध्यान दें, तो एजुकेशन हब बनाने में मदद मिलेगी. बच्चों में प्राथमिक कक्षा से ही तार्किक क्षमता विकसित करें. एजुकेशन हब के लिए संसाधन पूर्ण शिक्षण संस्थान तैयार करना होगा.

– विभा सिंह, नन्हे कदम

राज्य के शैक्षणिक संस्थान बेहतर शिक्षा दे रहे हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम को बढ़ावा मिले, तो उच्च माध्यमिक स्तर से बच्चे आत्मनिर्भर बनने के लिए सोचेंगे. शिक्षा के लिए दूसरे राज्य में पलायन न हो, इसकी जिम्मेदारी शिक्षकों पर है.

– केआर झा, ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल

बच्चों को शिक्षित करना ही शैक्षणिक संस्थान का उद्देश्य न हो. संस्कार युक्त शिक्षा के अलावा गैर-शैक्षणिक योग्यताओं का भी लाभ देना होगा. हर प्रतिस्पर्धा में बच्चे बेहतर करेंगे, तभी एजुकेशन हब की परिकल्पना पूरी हो सकेगी.

– शांति सिंह, राम लखन सिंह यादव स्कूल

एजुकेशन हब में राजनीतिक गतिविधि का प्रभाव न हो, तो हर वर्ग के बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा. ग्रामीण बच्चों तक संसाधन नहीं पहुंच रहे हैं. बुद्धिजीवियों की कमेटी एजुकेशन हब स्थापित करे.

– अमित सिंह, ओडीएम सफायर ग्लोबल स्कूल

ग्लोबल इनोवेशन में देश 80वें से 40वें स्थान पर पहुंच चुका है. बावजूद राज्य में रिसर्च सेंटर की कमी की दूर करना होगा. एजुकेशन हब बनाने के लिए तीन सी : कम्युनिकेशन, कोलैब्रेशन और क्रिटिकल थिंकिंग जरूरी है.

– तनुश्री चक्रवर्ती, डीएवी नीरजा सहाय

1960-70 के दशक की शिक्षा प्रणाली और वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था में काफी अंतर है. आज अभिभावक भी शिक्षित हैं. उन्हें बच्चों का काउंसेलर बनना होगा. वहीं, शिक्षकों को कंसेप्ट आधारित शिक्षा देने की जरूरत है.

– नीरज सिन्हा, फिरायालाल पब्लिक स्कूल

एजुकेशन हब की परिकल्पना सार्थक हो इसके लिए नीति निर्माताओं को लाभुकों के बीच पहुंचना होगा. शिक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए सिर्फ मॉडल तैयार न कर इसके क्रियान्वयन पर जोर देने की जरूरत है.

– डॉ कैप्टन सुमित कौर, गुरुनानक स्कूल

शिक्षा व्यवस्था की पहचान सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर हो गयी है. इससे शिक्षा तंत्र के प्रति लोगों का नजरिया बदला है. प्रत्येक बच्चे को शिक्षा के अधिकार से जोड़ना होगा. अभिभावक बच्चों की नियमित शिक्षा को बढ़ावा दें.

– सुधीर तिवारी, टेंडर हार्ट स्कूल

प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की जरूरत है. शिक्षा विभाग ने 80 उत्कृष्ट विद्यालय में नामांकन शुरू कर दिया है. जबकि, प्राचार्य और शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करना होगा.

– डॉ माया कुमार, चिरंजीवी कांसेप्ट स्कूल

तकनीकी विकास और नवाचार को बढ़ावा देकर एजुकेशन हब तैयार होगा. अभिभावक भी बच्चों के बेहतर करियर विकल्प में मदद कर सकेंगे. शिक्षा के लक्ष्य को सार्थक रूप देने के लिए राज्य में रोजगार का अवसर बढ़ाना होगा.

– एंजेला सर्राफ, संत जेवियर्स स्कूल धुर्वा

बच्चों को शिक्षा के साथ कौशल प्रशिक्षण से जोड़ना होगा. एजुकेशन हब की परिकल्पना में आध्यात्मिक और संस्कार युक्त शिक्षा देनी होगी. हमारा राज्य हर दृष्टिकोण से शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त है. ज्यादा रोजगार युक्त शिक्षा और अवसर को बढ़ावा देना होगा.

– सुसन उमन, संत थॉमस स्कूल

स्कूल समाज के लिए जरूरी है. समाज के बुद्धिजीवी नीति निर्धारण को लेकर आगे आयें. इसमें उनकी भूमिका निर्धारित की जाये, ताकि बेहतर नीति बन सके. शिक्षकाें को भी अपडेट रहने की आवश्यकता है. विद्यार्थियों को सूचना एवं ज्ञान के अंतर को समझाना होगा. शिक्षा व्यवहार को परिस्थिति के अनुरूप बनाने की पहल करता है.

– डॉ राम सिंह, डीपीएस रांची

शैक्षणिक संस्थानों को अभिभावकों और बच्चों के बीच की कड़ी बनने की जरूरत है. इससे बच्चों की प्रतिभा की पहचान होगी. शिक्षक भी बच्चों की प्रतिभा और इनके प्रशिक्षण का विकल्प दें. प्रत्येक बच्चे में कुछ न कुछ प्रतिभा होती है, इसे पहचान कर आगे बढ़ाने की जरूरत है.

– समरजीत जाना, जेवीएम श्यामली

झारखंड को एजुकेशन हब बनाने के लिए सभी स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों को आपस में जुड़ना होगा. शिक्षा के लिए बच्चों के दूसरे राज्यों में हो रहे पलायन पर मंथन करने की जरूरत है. इसका ठाेस निष्कर्ष निकालकर सुधार करना होगा.

– सीमा चितलांगिया, ब्रिजफोर्ड स्कूल

प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है. झारखंड में प्लेसमेंट के बेहतर विकल्प तैयार करने की जरूरत है. इससे विद्यार्थियाें के पलायन पर रोक लगेगा. नवाचार के साथ प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है.

– नीता पांडेय, कैंब्रियन पब्लिक स्कूल

पढ़ने-लिखने के साथ-साथ दोबारा पढ़ने, ज्यादा पढ़ने और पुन: पढ़ने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी. शिक्षा पद्धति को संस्कार और नैतिक मूल्य आधारित बनाने की जरूरत है. बच्चों को तकनीक का सही इस्तेमाल सिखाना होगा.

– संजय कुमार मिश्रा, डीएवी हेहल

राज्य एजुकेशन हब बने इसके लिए सरकारी स्कूल प्रणाली को मजबूत करना होगा. इसमें निजी स्कूल के शिक्षक सरकारी स्कूल के शिक्षकों के साथ अपने अनुभव और प्रशिक्षण साझा कर सकते हैं. बच्चों को बुद्धि, विवेक, अनुभव और संस्कार युक्त शिक्षा देनी होगी.

– एमके सिन्हा, डीएवी कपिलदेव

विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग-मेडिकल के अलावा अन्य करियर विकल्प की जानकारी देनी होगी. बच्चे बेहतर भविष्य बना सकें, इसके लिए प्राथमिक स्तर से क्षमता विकास को प्रभावी बनाना होगा. योग्य शिक्षक बच्चों के व्यक्तिगत विकास में अहम कड़ी हो सकते हैं.

– संजीत कुमार मिश्रा, डीएवी पुंदाग

रांची एजुकेशन हब है, जिसे और आगे ले जाने की आवश्यकता है. इसमें हम सबको आगे आकर काम करना होगा. वर्तमान परिस्थिति में स्कूली शिक्षा के समक्ष चुनौतियां बढ़ी हैं. स्कूल खुल रहे हैं, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चुनौती बन रही है. शिक्षकों के लिए भी प्रशिक्षण जरूरी है.

– किरण द्विवेदी, विवेकानंद विद्या मंदिर

बौद्धिक और रचनात्मक क्रियाकलाप से शिक्षा के स्तर को बढ़ावा मिलेगा. शिक्षक की उपस्थिति बच्चों के जीवन में दायित्व के रूप में हो तो हर तरह की शिक्षा संभव है. शैक्षणिक संस्थान मौलिक और नैतिक गुणों को विकसित करने पर ध्यान दें, तो बेहतर कर सकेंगे.

– फादर सुमित, संत फ्रांसिस स्कूल

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