FASTag Error: टोल बूथ पर सफर करते समय FASTag ने बेंगलुरु के एक युवक व्यक्ति से 5 रुपये अधिक चार्ज कर लिए. ऐसा एक बार नहीं बल्कि, दो बार हुआ. अधिक पैसे काटे जाने की वजह से परेशान युवक ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को अवैध व्यापार प्रथाओं के तहत शहर के कंज्यूमर कोर्ट के सामने पेश किया. बता दें कोर्ट ने हाल ही में एजेंसी को ज्यादा टोल टैक्स चार्ज करने की वजह से एक व्यक्ति को 8,000 रुपये मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया था.
गांधीनगर निवासी संतोष कुमार एमबी ने साल 2020 में दो बार पहली बार 20 फरवरी और दूसरी बार 16 मई को चित्रदुर्ग बॉर्डर के पास नेशनल हाईवे पर अपने वाहन को चलाया था. संतोष कुमार यह जानकार हैरान हो गया कि परिवहन मंत्रालय के तरफ से इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम FASTag के माध्यम से हर टोल नाके से 35 रुपये की जगह 40 रुपये काटे गए हैं. उसने सफर के दौरान दो बार टोल बूथ पार किया था और दोनों ही बार उसके अकाउंट से 5-5 रुपये अधिक कटे थे.
संतोष कुमार एमबी ने शहर में NHAI अधिकारियों और एजेंसी, चित्रदुर्ग की परियोजना कार्यान्वयन यूनिट के परियोजना निदेशक से सम्पर्क किया और उन्हें FASTag प्रणाली में खराबी की सूचना दी. संतोष कुमार सिस्टम में खराबी को दूर करने और अपने 10 रुपये के रिफंड को पाने के लिए दर-दर भटकते रहे. लेकिन, अधिकारियों ने उनकी शिकायत को दूर करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया. इस रवैये से संतोष कुमार गुस्सा गए और लोगों की मेहनत की कमाई को इस तरह से लुटते देख उन्होंने NHAI, चित्रदुर्ग में इसके परियोजना निदेशक और नागपुर स्थित जेएसएस टोल रोड कंपनी लिमिटेड के प्रबंधक पर पहले डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन शांतिनगर में मुकदमा दायर किया.
संतोष कुमार ने अपने मामले की पैरवी खुद की. जबक, दूसरी तरफ NHAI के प्रतिनिधि कानूनी नोटिस दिए जाने के बाद भी उपस्थित नहीं हुए. जेएसएस कंपनी के प्रतिनिधियों ने अपना वर्जन फाइल किया लेकिन, कोर्ट द्वारा निर्धारित 45 दिनों की अवधी के समाप्त होने के बाद. NHAI के परियोजना निदेशक के तरफ से एक वकील पेश हुए और तर्क दिया कि FASTag को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा डिज़ाइन, विकसित और कॉन्फ़िगर किया गया था, और 1 जुलाई, 2020 तक कारों के लिए टोल शुल्क 38 रुपये और LCV (लाइट कमर्शियल वाहन) 66 रुपये था. लेकिन, 6 अप्रैल, 2018 में, NHAI ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें एकत्रित शुल्क को संशोधित कर निकटतम 5 रुपये कर दिया गया था. इसने कारों के लिए शुल्क को 35 रुपये और LCV को 65 रुपये में बदल दिया था, और शुल्क में कटौती की गई थी। वकील ने नियमानुसार मामले को खारिज करने की मांग करते हुए यह दावा किया.