केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि समलैंगिक विवाह का राजस्थान सरकार ने विरोध किया है. केन्द्र ने बताया कि 7 राज्यों का जवाब मिला है. जिसमें राजस्थान ने सीधे तौर पर इस मुद्दे का विरोध किया है. वहीं, 6 राज्यों ने इस मामले में समय की मांग की है. गौरतलब है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिका पर आज यानी बुधवार को 9वें दिन भी सुनवाई हुई. इस मामले की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएम नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है.
6 राज्यों ने मांगा है समय: समलैंगिक विवाह मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि राजस्थान ने इसका विरोध किया है, जबकि 6 अन्य राज्यों ने और समय की मांग की है. जिन राज्यों ने समय मांगा है उनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, असम और सिक्किम शामिल हैं. इन राज्यों का कहना है कि समलैंगिक विवाह पर आम लोगों की राय लेने के लिए उन्हें और समय चाहिए.
जस्टिस चंद्रचूड़ को मामले की सुनवाई से हटाने वाली अर्जी खारिज: गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिये जाने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई से भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को हटाये जाने की अर्जी बुधवार को खारिज कर दी. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ समलैंगिक विवाह को मान्यता संबंधी याचिकाओं पर आज नौवें दिन सुनवाई कर रही थी.
इस कड़ी में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश अंसन थॉमस नाम के एक शख्स ने सीजेआई को 13 मार्च एवं 17 अप्रैल को भेजे अपने पत्रों का हवाला दिया और कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को इस मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए. सीजेआई ने कहा, धन्यवाद श्रीमान थॉमस अर्जी खारिज की जाती है. सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई को सुनवाई से हटाने संबंधी दलीलों पर आपत्ति जताई.
भाषा इनपुट के साथ
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