सुदीप्तो सेन की ओर से निर्देशित ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. फिल्म जबसे सिनेमाघरों में रिलीज हुई है, तब से ये विवादों में घिर गई है. कई जगहों पर इसे बैन कर दिया गया है, तो कई लोग अब भी इसका विरोध कर रहे हैं. बता दें कि कहानी केरल की तीन महिलाओं के बारे में है, जिनका ब्रेनवॉश किया जाता है और इस्लाम में परिवर्तित हो जाती हैं. फिर उन्हें आईएसआईएस में शामिल होने के लिए ले जाया जाता है. अब शत्रुघ्न सिन्हा ने इसपर चुप्पी तोड़ी है.
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, “सबसे पहले, मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैंने द केरल स्टोरी नहीं देखी है. मैं यात्रा में इतना व्यस्त हो गया हूं कि मैंने अभी तक अपनी बेटी (सोनाक्षी) की सीरीज दहाड़ नहीं देखी है. यह कहने के बाद मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मैं हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खड़ा रहा हूं. मेरा दृढ़ विश्वास है कि प्रत्येक व्यक्ति को वह कहने का अधिकार है, जो वह कहना चाहता है… लेकिन किसी राज्य की कानून और व्यवस्था की कीमत पर नहीं. अगर कोई फिल्म राज्य की शांति के लिए खतरा पैदा करती है, तो उस आजादी पर अंकुश लगना चाहिए. अभिव्यक्ति का अधिकार है. प्रशासन का अधिकार भी है.
शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पार्टी की नेता ममता बनर्जी द्वारा फिल्म पर प्रतिबंध लगाने पर भी बात की. उन्होंने कहा, “हां, ममता बनर्जी बहुत दूर की सोच वाली नेता हैं. अगर उन्हें लगता है कि यह फिल्म (द केरल स्टोरी) कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा कर सकती है, तो उसके पास इसका कारण होना चाहिए. वह भी हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खड़ी रही हैं. अगर उन्हें लगता है कि फिल्म एक निश्चित वर्ग के लोगों के लिए खतरनाक है, तो उन्हें वह करने का पूरा अधिकार है, जो उन्हें सही लगता है. मेरे लिए, मैं हमेशा स्वतंत्रता के अधिकार के लिए खड़ा रहा हूं.
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शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स से बहुत पहले, मैंने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के बारे में बात की थी. तब सरकार ने ध्यान नहीं दिया. अगर विवेक की फिल्म ने कश्मीरी पंडितों पर बहस छेड़ दी है, तो मुझे खुशी है. संवेदनशील मुद्दों पर फिल्म बननी चाहिए, लेकिन उन्हें संवेदनशील तरीके से बनाया जाना चाहिए. चुनाव के समय धर्म परिवर्तन के बारे में यह फिल्म क्यों? समय थोड़ा संदिग्ध लगता है.