गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उनकी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है. पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर डीजीपी को कॉल करने और फर्जीवाड़ा कर गया के फतेहपुर थाने में दर्ज शराब कांड को खत्म कराने के मामले में 15 अक्तूबर 2022 को आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी.
आइपीएस अधिकारी आदित्य कुमार की एसएलपी की सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण मुरारी और पीवी संजय कुमार की पीठ ने उनके खिलाफ किसी भी जबरदस्ती एक्शन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने शुक्रवार 12 मई को यह आदेश जारी किया. पटना हाइकोर्ट ने पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. आदित्य कुमार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
आदित्य कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश कीं. मामले को सुनने के बाद निलंबित आइपीएस अधिकारी को बड़ी राहत मिल गयी. पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जायेगी. इसके पहले निलंबित आइपीएस अधिकारी आदित्य कुमार के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने 1.37 करोड़ रुपये आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज किया था. एसवीयू ने दानापुर के सगुना मोड़ और यूपी गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित उनके फ्लैट और मेरठ स्थित पैतृक आवास पर जांच की थी.
बता दें कि आदित्य कुमार 2011 बैच के आईपीएस अफसर हैं. उन पर आरोप है कि जब वह गया के एसएसपी थे, तब उन्होंने शराब माफिया को संरक्षण दिया था. इस मामले की जांच मगध रेंज के आईजी आदित्य लोढ़ा ने की थी, जिन्होंने आरोपों को सही पाया था. इसके बाद गया के फतेहपुर थाने में आदित्य कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. इसके अलावा आदित्य कुमार के दोस्त अभिषेक अग्रवाल ने अपने फोन से पटना हाई कोर्ट चीफ जस्टिस बनकर डीजीपी एसके सिंगल आदित्य कुमार के खिलाफ सभी केस बंद करने के निर्देश दिए थे. इस मामले में अभिषेक अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है.