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मदर्स डे पर विशेष: आईएएस मंजूनाथ भजंत्री, दीपंकर चौधरी व आईपीएस सुभाष चंद्र जाट ने अपनी मां को ऐसे किया याद

देवघर के एसपी सुभाष चंद्र जाट ने कहा कि मां का प्यार नि:स्वार्थ होता है. 12वीं कक्षा तक पढ़ने के दौरान मम्मी के साथ ही रहा. मां से काफी प्यार मिलता है. देवघर के एसडीओ दीपांकर चौधरी ने कहा कि मदर्स डे पर मैं अपनी मां मीरा कुमारी को बहुत मिस कर रहा हूं. मां मुझसे दूर घर पर हैं.

देवघर: देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री कहते हैं कि मैं अपनी मां को सिर्फ मदर्स डे पर ही नहीं, हर वक्त मिस करता हूं क्योंकि आज मैंने जो भी मुकाम हासिल किया है, उसमें मां की भूमिका अहम है. देवघर के एसडीओ दीपांकर चौधरी ने कहा कि मदर्स डे पर मैं अपनी मां मीरा कुमारी को बहुत मिस कर रहा हूं. मां मुझसे दूर घर पर हैं. देवघर के एसपी सुभाष चंद्र जाट ने कहा कि मां का प्यार नि:स्वार्थ होता है. 12वीं कक्षा तक पढ़ने के दौरान मम्मी के साथ ही रहा. मां से काफी प्यार मिलता है.

मां की कमी काफी खलती है, हर वक्त मिस करता हूं : डीसी

देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री कहते हैं कि मैं अपनी मां को सिर्फ मदर्स डे पर ही नहीं, हर वक्त मिस करता हूं क्योंकि आज मैंने जो भी मुकाम हासिल किया है, उसमें मां की भूमिका अहम है. उन्होंने बचपन से ही मुझे जरूरतमंदों की मदद करना और गरीबों के चेहरे पर कैसे मुस्कान लाया जाये, इसके लिए काम करने की प्रेरणा दी. मां-पापा दोनों की इच्छा थी कि मैं आइएएस अफसर बनूं. अब उनके आशीर्वाद से इस मुकाम पर हूं और उनकी प्रेरणा से ही जरूरतमंदों की मदद और गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लाने की भरसक कोशिश करता हूं. मेरी मां मेरी प्रेरणा है, मेरा अभिमान है. अभी मेरी मां कर्नाटक के बेलागावी गांव में रह रही हैं. कभी-कभी तो बहुत दिन हो जाता उनसे मिले हुए, खासकर पर्व त्योहारों में उनकी कमी काफी खलती है.

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मदर्स डे पर विशेष: आईएएस मंजूनाथ भजंत्री, दीपंकर चौधरी व आईपीएस सुभाष चंद्र जाट ने अपनी मां को ऐसे किया याद 2

मां के हौसलों ने मुझे आईएएस ऑफिसर बनाया : दीपांकर चौधरी

देवघर के एसडीओ दीपांकर चौधरी ने कहा कि मदर्स डे पर मैं अपनी मां मीरा कुमारी को बहुत मिस कर रहा हूं. मां मुझसे दूर घर पर हैं. मैंने जीवन में मां से दो बातें सीखी हैं, पहली बिना शिकवा-शिकायत किये लगातार परिश्रम करना व दूसरी महिलाओं का हमेशा सम्मान करना. ये बातें मुझे जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब बनने में सहायक साबित हुईं. पहली बार यूपीएससी में सफल होने के बाद वर्ष 2019 में जब मैं आइपीएस बना, उसके बाद मैं वहीं ठहर जाता, मगर मां के हौसले ही थे, जिसके कारण बाद में आइएएस बना. मां आइसीडीएस डिपार्टमेंट में थीं. चार-पांच साल पहले वह रिटायर हो गयी हैं, मगर जब तक वह नौकरी में रहीं, घर पर भाई-बहनों को व बाहर अपने काम को बखूबी देखती रहीं. वर्कलोड के बावजूद उन्होंने कभी हमलोगों से शिकायत नहीं की. यह बातें मुझे हमेशा प्रेरणा देती हैं. मां ने हमें सिखाया है कि जीवन में सफल होने के लिए एक गोल सेट करो. गोल सेट करने के बाद तुम उसे अचीव कर सकते हो. यह हौसला दिया. इस वजह मैं अपने जीवन में सफल हो सका.

साथ नहीं होने पर मां को करता हूं मिस : सुभाष चंद्र जाट

देवघर के एसपी सुभाष चंद्र जाट ने कहा कि मां का प्यार नि:स्वार्थ होता है. 12वीं कक्षा तक पढ़ने के दौरान मम्मी के साथ ही रहा. मां से काफी प्यार मिलता है. नौकरी में आने के बाद हर पल मां के साथ नहीं रह पाता, किंतु उनका प्यार साथ होता है. हालांकि, साथ में नहीं रहने पर मां को मिस तो करता हूं. मां का आंचल बड़ा होता है. बेटे कितने भी बड़े हो जायें, मां से छोटे ही रहते हैं. मां छोटी चीजों का ध्यान रखती हैं. गुस्से में मां पर अगर झल्लाते भी हैं तो वो नादान समझकर माफ करती हैं. मां के साथ कभी रिश्ता खराब होने की गुंजाइश ही नहीं होती.

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