National Dengue Day: डेंगू की वजह से आज भी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. पिछले 7 साल में देश भर के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि वर्ष 2018, वर्ष 2019 और वर्ष 2020 को छोड़कर हर वर्ष 300 से अधिक लोगों की डेंगू के डंक ने मार डाला. डेंगू के मामलों में भी लगातार वृद्धि हुई है. हालांकि, झारखंड में इसके मामलों में कमी आयी है. पिछले 5 साल की बात करें, तो सिर्फ 2 लोगों की मौत हुई है. डेंगू के मामलों में भी धीरे-धीरे कमी आयी है. पिछले 6 साल में झारखंड में 2,587 लोग संक्रमित हुए और कुल 7 लोगों की जान गयी.
वर्ष 2017 से वर्ष 2022 के बीच कुल 6 वर्षों में 7 लोगों की मौत हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा 5 लोगों की मौत वर्ष 2017 में हुई. वर्ष 2018 और वर्ष 2021 में 1-1 व्यक्ति की मौत डेंगू के डंक से झारखंड में हुई. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) के रिकॉर्ड इस बात की तस्दीक करते हैं कि वर्ष 2019, वर्ष 2020 और वर्ष 2022 में डेंगू की वजह से झारखंड में किसी की मौत नहीं हुई.
डेंगू के सबसे कम मरीज वर्ष 2020 में झारखंड में अस्पतालों में पहुंचे. वर्ष 2019 में सबसे ज्यादा 825 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आयी थी. इसके पहले वर्ष 2017 में कुल 710, वर्ष 2018 में 463 लोग डेंगू की चपेट में आये. वर्ष 2017 में 710 पीड़ितों में से 5 लोगों की मौत हो गयी, जबकि वर्ष 2018 में 463 में 1 की मौत हुई. वर्ष 2020 में सिर्फ 79 लोगों को डेंगू हुआ. इस वर्ष किसी की मौत नहीं हुई. वर्ष 2021 में कुल 220 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई और इनमें से 1 व्यक्ति की मौत भी हो गयी. हालांकि, वर्ष 2022 में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 290 हो गयी, लेकिन इस वर्ष किसी की मौत नहीं हुई.
पश्चिम बंगाल में डेंगू ने 30 लोगों की जान ले ली. केरल में 29, महाराष्ट्र में 27, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 18-18, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 10-10, कर्नाटक और दिल्ली में 9-9, तमिलनाडु में 8, गुजरात में 7, मिजोरम में 5, मणिपुर में 4, पुडुचेरी और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 3-3, असम और मध्यप्रदेश में 2-2, गोवा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में 1-1 व्यक्ति की जान डेंगू की वजह से गयी. लक्षद्वीप, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, त्रिपुरा, तेलंगाना, उत्तराखंड में वर्ष 2022 में किसी मौत डेंगू से नहीं हुई.
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बता दें कि झारखंड में जब भी डेंगू का मामला सामने आता है, सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में डेंगू का अलग वार्ड बनाकर लोगों का इलाज किया जाता है. राज्य के सदर अस्पतालों में भी डेंगू के इलाज की सुविधा उपलब्ध है. मच्छर के काटने से होने वाला डेंगू एक खतरनाक बुखार है. पीड़ित व्यक्ति को समय पर इलाज नहीं मिलने पर प्लेटलेट तेजी से घटने लगता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है.
डेंगू एक वायरल बीमारी है. एडीस एजिप्टी मच्छर के काटने से लोगों को डेंगू होता है. डेंगू को डेंगी भी कहा जाता है. मच्छर के काटने के 5-6 दिन बाद लोगों में इस बीमारी के लक्षण दिखने शुरू होते हैं. यह दो रूपों में सामने आता है : डेंगू बुखार और डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ). डेंगू बुखार गंभीर फ्लू जैसी बीमारी है. अगर डेंगू ने डेंगू हेमोरेजिक फीवर का रूप ले लिया है, तो यह बेहद गंभीर है. इसकी वजह से मरीज की मौत हो जाती है. अगर यह मालूम हो जाये कि आपको डेंगू हो गया है, भले वो डेंगू बुखार हो या डीएचएफ, आपको निश्चित तौर पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
डेंगू किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है. पुरुष और महिला दोनों इसकी चपेट में आते हैं. हां, डेंगू की वजह से सबसे ज्यादा बच्चों की मौत होती है. इसलिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. बता दें कि वर्ष 2022 में भारत में कुल 303 लोगों की डेंगू से मौत हो गयी. इसमें सबसे ज्यादा 41 मौतें पंजाब में हुईं. दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश रहा, जहां 33 लोगों की जानें गयीं. बिहार में 32 लोगों की मौत डेंगू की वजह से हुई.
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अगर आप उस इलाके में रहते हैं, जहां डेंगू के मच्छर पनपते हैं, तो सावधानी सबसे ज्यादा जरूरी है. डेंगू या डीएचएफ के इलाज के लिए न तो कोई दवा उपलब्ध है, न ही उससे बचाव का टीका यानी वैक्सीन. इसलिए एडीज एजिप्टी मच्छर को पनपने से रोकना और डेंगू के लक्षण दिखते ही इलाज कराना ही इस बीमारी की वजह से होने वाली मृत्यु दर को कम करने का एकमात्र उपाय है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.