नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हुए हैं. खासकर ST-SC के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है. चुनाव से पहले राज्य सरकार ने इन सीटों पर दोनों समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ाने का ऐलान किया था. पार्टी को भरोसा था कि चुनाव में इसका फायदा मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक की अधिकतम एससी-एसटी सीटें जीती थीं. पार्टी ने 2014 के चुनावों में 131 निर्वाचन क्षेत्रों में 67 और 2019 में 77 सीटें जीतीं. दोनों सामाजिक समूह बीजेपी के लाभार्थी (केंद्रीय कल्याण) योजनाओं के केंद्र का अहम हिस्सा रहा है.
अब आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी ने रणनीति बदली है. बीजेपी नेताओं ने कहा कि पार्टी की एससी-एसटी पहुंच को और बढ़ाया जाएगा. क्योंकि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के चुनावी राज्यों में इन एससी-एसटी मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. कर्नाटक में, बीजेपी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 36 सीटों में सिर्फ 8 सीटें जीतने में सफल रही. पार्टी आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित सीटों में से एक भी सीट जीत नहीं पाई. वहीं, कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनावों में 21 एससी सीटों में 12 और 14 एसटी सीटों में 8 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. श्रीरामुलु और गोविंद करजोल जैसे एससी-एसटी समुदायों के बीजेपी के सबसे बड़े नेता भी अपनी सीट हार गए थे.
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण बढ़ाने के अपने फैसले के बारे में अनुसूचित जाति के मतदाताओं को समझाने में फेल रही. इस कारण बंजारा, भोवी और अनुसूचित जाति (राइट) समुदायों के मतदाताओं ने बीजेपी के खिलाफ मतदान किया. चुनावों से ठीक पहले बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने 17 प्रतिशत एससी कोटा में आंतरिक आरक्षण को सबसे पिछड़े एससी (लेफ्ट) के लिए 6 फीसदी, कम पिछड़े एससी के लिए 5.5 फीसदी अनुसूचित जाति के लिए 4.5 फीसदी कोटे के रूप में बांटने का फैसला किया था.
बीजेपी एसटी मोर्चा के प्रमुख समीर उरांव ने NDTV से कहा कि पार्टी कर्नाटक चुनाव नतीजों की उचित समीक्षा सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा- “20 मई से 20 जून तक हम मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का जश्न मनाएंगे. विशेष रूप से सभी एसटी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा. हम लोगों को बताएंगे कि कैसे पीएम मोदी की योजनाएं उनके लिए कल्याणकारी साबित हुई हैं. हम इसकी विस्तृत रूपरेखा तैयार करेंगे. सभी मोर्चा प्रमुख एक साथ बैठेंगे और योजना तैयार करेंगे.”
उन्होंने ने कहा, “पार्टी और सरकार एससी-एसटी समुदायों के महत्व को समझती है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों उन्हें लामबंद करने की कोशिश में हैं. हमने 2018 के चुनाव नतीजों से सबक सीखे हैं, तब पार्टी को एससी-एसटी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए हम पिछले पांच वर्षों से इन समूहों के साथ बहुत ध्यान से काम कर रहे हैं. यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि बीजेपी की वैचारिक पैठ इन लोगों के बीच है.”