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माइनिंग लीज मामले में सरकार बोली- सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है क्लीन चिट

माइनिंग लीज मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया. याचिका में बताया गया कि सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है.

झारखंड हाइकोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अनगड़ा में माइनिंग लीज व रिश्तेदारों को जमीन लीज आवंटन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार के शपथ पत्र पर प्रति उत्तर दायर करने के लिए समय प्रदान किया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 जून की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर माइनिंग लीज आवंटन से संबंधित एक जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है.

यह भी बताया गया कि हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन व उनकी बहन सरला मुर्मू की कंपनी सोहराई लाइवस्टोक प्राइवेट लिमिटेड के नाम चान्हो के बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ जमीन जियाडा द्वारा विधिवत तरीके से आवंटित हुआ है. जियाडा ने विज्ञापन प्रकाशित किया था. कंपनी ने आवेदन दिया था. सब कुछ कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है. हेमंत सोरेन को भी जो माइनिंग लीज दिया गया था, उसमें भी सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कुछ अंश का हवाला देते हुए श्री सिब्बल ने कहा कि यह जनहित याचिका मेंटनेबल नहीं है, उसे खारिज किया जाना चाहिए. बहस के दाैरान महाधिवक्ता राजीव रंजन भी उपस्थित थे. वहीं प्रार्थी की अोर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अधिवक्ता विशाल ने पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार ने बिंदुवार स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. सरकार के शपथ पत्र पर जवाब दायर करने के लिए उन्होंने समय देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी आरटीआइ कार्यकर्ता व हाइकोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार महतो ने जनहित याचिका दायर की है.

झालसा में दस्तावेज के साथ प्रस्तुत होने का निर्देश : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने नारी निकेतन स्नेह आश्रय कांके के बकाया भुगतान के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी व उपायुक्त रांची के प्रतिनिधि को छह जून को संबंधित दस्तावेज के साथ झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) में प्रस्तुत होने का निर्देश दिया, ताकि बकाये का भुगतान सुनिश्चित हो सके

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