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झारखंड हाइकोर्ट ने केंद्र से पूछा- राज्य में कैसे हो रही बांग्लादेशियों की घुसपैठ, रोकने के लिए क्या कदम उठाये

झारखंड हाइकोर्ट ने इस मामले में गृह मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 19 जुलाई की तिथि निर्धारित की

झारखंड हाइकोर्ट ने पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज, जामताड़ा आदि जिलों की सीमा से बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश के कारण जनसंख्या में बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूछा कि झारखंड की सीमा से बांग्लादेशी घुसपैठिये कैसे प्रवेश कर रहे हैं?

इन्हें रोकने कें लिए क्या कदम उठाये गये हैं. हाइकोर्ट ने इस मामले में गृह मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 19 जुलाई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से बताया गया कि झारखंड के पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज आदि जिलों की सीमा से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिये प्रवेश कर रहे हैं. इससे उक्त जिलों की जनसंख्या में बदलाव देखा जा रहा है.

बड़ी संख्या में मदरसा भी स्थापित किये जा रहे हैं. बांग्लादेशी घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी समुदाय की लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर वैवाहिक संबंध भी बना रहे हैं. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव व अधिवक्ता पार्थ जालान ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डेनियल दानिश ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गयी है कि इस मामले में गृह मंत्रालय रिपोर्ट दायर करे. झारखंड की सीमा क्षेत्र से कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिये प्रवेश कर रहे हैं तथा कैसे लोगों को गुमराह कर वैवाहिक संबंध स्थापित कर रहे हैं

प्रार्थी ने बताया : सुनियोजित तरीके से बदली जा रही संताल परगना की डेमोग्राफी

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को यह भी बताया कि संताल परगना के जिले, जो साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, जामताड़ा, दुमका बांग्लादेश से सटे हुए हैं, उनमें सुनियोजित तरीके से घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी लड़कियों से लव जिहाद के तहत शादी करते हैं. आदिवासी जमीन खरीदते हैं तथा धर्म परिवर्तन करा कर डेमोग्राफिक बदलाव कर रहे हैं.

बांग्लादेशी घुसपैठिये लव जिहाद के साथ लैंड जिहाद भी कर रहे हैं. सुरक्षित सीटों पर घुसपैठिये अपनी आदिवासी पत्नी को चुनाव में खड़ा कराते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में संताल परगना के साहिबगंज, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा आदि जिलों में अचानक मदरसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. सीमा से सटे जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिये आते हैं और उन्हें मदरसों में ठहराया जाता है. वहां पर उनके दस्तावेज तैयार होते हैं.

उसके बाद किस घुसपैठिये को कहां जाना है, उसे कहां रहना है, तय होता है तथा योजना के अनुसार उसे अंजाम दिया जाता है. सीमा से बड़ी संख्या में घुसपैठ हो रही है, लेकिन सरकार सोयी हुई है. प्रार्थी ने साहिबगंज में (बोरियो प्रखंड में सबसे अधिक) नये स्थापित किये गये लगभग 47 मदरसों की सूची भी याचिका के साथ संलग्न की है. साहिबगंज में दिसंबर 2022 में रेबिका पहाड़िन हत्याकांड का मामला भी उठाया गया है.

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