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झारखंड के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में लगेगा 4जी मोबाइल नेटवर्क, इन दो कंपनियों को मिला है जिम्मा

4जी सेचुरेशन प्रोजेक्ट के तहत बीएसएनएल को कुल 1002 स्थानों पर मोबाइल टावर लगाना है. वहीं, आकांक्षी जिलों में अलग-अलग योजनाओं के तहत लगाये जा रहे हैं

झारखंड के हर सुदूरवर्ती क्षेत्र के गांवों में दिसंबर 2023 तक मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराने को लेकर तेजी से काम चल रहा है. अब लगभग 1,600 गांव ही ऐसे हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है. जबकि, डेढ़ साल पहले तक ऐसे गांवों की संख्या 2,299 थी. दूरसंचार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि झारखंड के हर गांव में इस साल दिसंबर तक मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है.

इसमें 4जी सेचुरेशन प्रोजेक्ट के तहत बीएसएनएल को कुल 1002 स्थानों पर मोबाइल टावर लगाना है. वहीं, आकांक्षी जिलों में 326 और नक्सल प्रभावित जिलों 82 टावर अलग-अलग योजनाओं के तहत लगाये जा रहे हैं. पहली योजना के तहत वैसे इलाके में मोबाइल टावर लगाये जा रहे हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है या मोबाइल नेटवर्क है, तो लोगों को टू जी सेवा मिल रही है. इसे अपग्रेड करके 4जी नेटवर्क में बदला जा रहा है. वहीं, दूसरी योजना के तहत आकांक्षी जिलों में जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, वहां एयरटेल को कुल 326 टावर लगाने हैं.

झारखंड के हर गांव में दिसंबर 2023 तक मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने पर काम चल रहा है. इस पर बीएसएनएल और एयरटेल काम कर रही हैं. रमेश चंद्रा

उप महानिदेशक, दूरसंचार विभाग, रांची

नक्सल प्रभावित इलाकों में 82 जगह चिह्नित किये

झारखंड के नक्सल प्रभावित के सुदूर गांवों में अब भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में 82 स्थानों पर मोबाइल टावर लगाये जा रहे हैं. इसका फायदा यह है कि मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध होने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्राें के युवाओं सहित अन्य लोगों को हाई स्पीड इंटरनेट सेवा भी मिल सकेगी.

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