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केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को प्रभात गुप्ता हत्याकांड में राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की सरकार की अपील

23 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी, राकेश डालू को आरोपी बनाया गया था. प्रभात गुप्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता थे. 2004 में ट्रायल कोर्ट ने अजय मिश्र टेनी व अन्य आरोपियों को बरी करार दिया था.

लखनऊ: केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आर्डर को बरकार रखा है. ट्रायल कोर्ट ने अजय मिश्र टेनी को बरी करार दिया था. राज्य सरकार ने इस आदेश के विरोध में हाईकोर्ट में अपील की थी. इस मामले में कोर्ट ने फैसले को रिजर्व रखा था.

तीन बार रिजर्व किया जा चुका है फैसला

23 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में केंद्रीय ग्रह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी, राकेश डालू को आरोपी बनाया गया था. इस मामले में अभी तक हाईकोर्ट लखनऊ में तीन बार फैसला रिज़र्व किया गया था. पहली बार 12 मार्च 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह ने फ़ैसला रिजर्व किया था.

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ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा

इसके बाद 10 नवंबर 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनू अग्रवाल ने फ़ैसला रिज़र्व किया था. तीसरी बार 21 फ़रवरी 2023 को जस्टिस अताउर्रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने फैसला रिजर्व किया था. शुक्रवार को हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के अजय मिश्रा टेनी सहित चारों आरोपियों को बरी करने के आदेश को बरकरार रखा है.

यह है मामला

23 साल पहले वर्ष 2000 में लखीमपुर के तिकोनिया इलाके में प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या की गयी थी. यह हत्या जिला पंचायत चुनाव के दौरान हुई थी. बताया जा रह है कि प्रभात गुप्ता लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति करते थे, साथ ही समाजवादी पार्टी से भी जुड़े हुए थे. इस मामले में प्रभात गुप्ता के परिजनों ने अजय मिश्रा टेनी सहित चार लोगों को नामजद कराया था. 2004 में इस मामले में सेशन कोर्ट ने चारों आरोपियों को बरी करार दिया था.

बीच बाजार मारी गयी थी गोली

प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता ने एफआईआर लिखायी थी कि 8 जुलाई 2000 को तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में भरी दोपहर उनके बेटे की गोली मारकर हत्या की थी. इसमें उन्होंने अजय मिश्रा टेनी, शशि भूषण, सुभाष मामा और राकेश डालू को नामजद कराया था. बताया जा रहा है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद यह मामला सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया था.

बिना जानकारी सीबीसीआईडी को दिया गया था मामला

इस पर प्रभात गुप्ता के परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता के पास शिकायत की. इसके बाद मामले को दोबारा लखीमपुर पुलिस को दे दिया गया था. लेकिन लखीमपुर पुलिस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ने इस मामले की जांच किसी अन्य से कराने का प्रार्थना पत्र दिया था. इसके बाद आईजी जोन लखनऊ ने एक विशेष टीम गठित करके इस हत्याकांड की जांच करायी थी.

पुलिस नहीं कर रही थी गिरफ्तार, कोर्ट ने जारी किया वारंट

बताया जा रहा है कि इस मामले में चार्जशीट लगाने से पहले ही आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ से बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया था. 13 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट ने अरेस्ट स्टे को खारिजकर दिया था. लेकिन लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार नहीं किया. इस पर प्रभात गुप्ता के परिवारीजन फिर से हाईकोर्ट गये और अजय मिश्रा टेनी का अरेस्ट वारंट जारी किया गया था.

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