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2016 की नोटबंदी से कितना अलग है 2000 रुपये की नोट-बंदी का फैसला?

RBI withdrawing Rs 2000 notes is not like 2016 Demonetisation - RBI ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का जो फैसला किया, उसने साल 2016 की नोटबंदी की याद दिला दी. हालांकि, इस बार 2000 रुपये की नोट-बंदी का फैसला 2016 की नोटबंदी से अलग है क्‍योंकि...

2016 Demonetisation vs RBI Decision on Rs 2000 Note: भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि 2000 रुपये के नोट अब चलन से बाहर हो जाएंगे. इस मूल्य के नोट बैंकों में 30 सितंबर तक जमा किये जा सकेंगे या बदले जा सकेंगे. बैंकों में दो हजार रुपये के नोट जमा करने और बदले जाने की व्यवस्था 23 मई से शुरू होगी. आरबीआई की इस घोषणा के बाद कुछ लोग इसे दूसरी नोटबंदी का नाम दे रहे हैं. लेकिन यह 2016 की नोटबंदी जैसा नहीं है. आइए जानें कैसे-

RBI ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का जो फैसला किया, उसने साल 2016 की नोटबंदी की याद दिला दी. 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया था. हालांकि, इस बार 2000 रुपये की नोटबंदी का फैसला 2016 की नोटबंदी से अलग है क्‍योंकि 2000 का नोट लीगल टेंडर मनी के तौर पर जारी रहेगा. ऐसे में कोई भी इस नोट को लेने से मना नहीं करेगा. हालांकि इन नोटों को 30 सितंबर तक बैंक में जाकर बदलना होगा.

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आरबीआई का यह कदम नवंबर, 2016 के उस अप्रत्याशित ऐलान से थोड़ा अलग है, जिसमें घोषणा की आधी रात से ही 500 एवं 1,000 रुपये के तत्कालीन नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. उसी समय आरबीआई ने 2,000 रुपये के नोट जारी किये थे.

केंद्रीय बैंक ने हालांकि यह नहीं बताया है कि 30 सितंबर की समयसीमा खत्म होने के बाद लोगों के पास बचे रह गए 2,000 रुपये के नोट की क्या स्थिति होगी. बताया जाता है कि समयसीमा खत्म होने के बाद भी अगर लोगों के पास ये नोट मौजूद रहते हैं, तो उन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी.

वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने इस फैसले की घोषणा के बाद एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि यह फैसला नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी से अलग है और इसका अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने 30 सितंबर तक जमा नहीं किये जाने वाले नोट के बारे में पूछे जाने पर कहा कि बैंकों के पास इससे निपटने की समुचित व्यवस्था होगी.

वहीं, पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग ने कहा कि आरबीआई के इस कदम का मकसद उच्च मूल्य वाले नोट पर निर्भरता को कम करना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने का है. उन्होंने कहा कि 2,000 रुपये के आधे नोट पहले ही वित्तीय व्यवस्था से बाहर हो चुके हैं.

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