झारखंड हाइकोर्ट ने रांची के सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान केंद्र सरकार के माैखिक जवाब पर चार सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर करने का समय दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने खंडपीठ को माैखिक रूप से बताया कि शपथ पत्र तैयार हो गया है, लेकिन दिल्ली से अधिकारी के नहीं पहुंचने के कारण वह दायर नहीं किया जा सका.
उन्होंने बताया कि रांची में निर्माणाधीन सीवरेज-ड्रेनेज परियोजना के लिए केंद्र सरकार किसी प्रकार की राशि नहीं देगी. पूर्व में केंद्र जवाहरलाल नेहरू अर्बन मिशन योजना के तहत शहरी विकास के लिए 60:40 प्रतिशत के अनुपात में राशि देती थी. वह योजना वर्ष 2015 में बंद हो गयी है. इस कारण सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए राशि देना संभव नहीं है.
यह भी बताया गया कि योजना के तहत 60 करोड़ रुपये दिया गया था, लेकिन उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक नहीं दिया गया है. पूर्व में रांची नगर निगम ने बताया था कि जोन-वन का कार्य 78 प्रतिशत पूरा हो चुका है. फेज-टू, फेज थ्री व फेज-फोर का मामला राज्य सरकार के पास है. उस कार्य को राज्य सरकार को करना है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अरविंदर सिंह देओल ने जनहित याचिका दायर की है.
योजना एक नजर में
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वर्ष 2015 से रांची में चल रहा है सीवरेज-ड्रेनेज का निर्माण कार्य
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दो साल में योजना को पूरा करने का था लक्ष्य, ज्योति बिल्डटेक को मिला था काम.
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359 करोड़ की लागत से जोन-वन के नाै वार्ड में चल रहा है काम. काम की धीमी रफ्तार देख ज्योति बिल्डटेक को हटा दिया गया.
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वर्ष 2020 में बचे हुए काम को करने के लिए दोबारा टेंडर एलसी इंफ्रा को साैंपा गया. 219 करोड़ से होगा बचा हुआ काम.
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वार्ड नंबर-एक, दो, तीन, चार, पांच, 30, 31, 32, 33 में चल रहा है काम.