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झारखंड: खरसावां में धार्मिक अनुष्ठानों पर खर्च होंगे 10 लाख, प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा पर 70 हजार होंगे खर्च

राज्य सरकार के विधि विभाग से प्राप्त राशि से खरसावां में दस पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है. इसमें मुख्य रूप से चड़क पूजा, चैत्र पर्व, रथ यात्रा, धुलिया जंताल पूजा, नुआखाई जंताल पूजा, इंद्रोत्सव, दुर्गा पूजा, काली पूजा के साथ साथ मुहर्रम का भी आयोजन किया जाता है.

सरायकेला-खरसावां : झारखंड के खरसावां प्रखंड सभागार में प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा समेत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन को लेकर सोमवार को बैठक हुई. बैठक में सभी धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन पूरे विधि-विधान के साथ करने का निर्णय लिया गया. बताया गया कि इस वर्ष पूजा मद पर 15.80 लाख रुपये का आवंटन मिला है. यह राशि दस अलग-अलग पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों के साथ साथ अन्य मदों पर खर्च की जायेगी. इस वर्ष सभी अनुष्ठानों के लिये राशि की बढ़ोत्तरी की गयी. धार्मिक अनुष्ठानों में करीब दस लाख रुपये खर्च होंगे. शेष राशि अन्य मदों पर खर्च की जायेगी. प्रभु जगन्नाथ के रथ की विशेष मरम्मत की जा रही है. रथ की मरम्मत पर करीब 1.30 लाख रुपये खर्च होंगे. आगामी 20 जून को प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जायेगी.

सरकारी खर्च पर होता है दस धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन

राज्य सरकार के विधि विभाग से प्राप्त राशि से खरसावां में दस पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है. इसमें मुख्य रूप से चड़क पूजा, चैत्र पर्व, रथ यात्रा, धुलिया जंताल पूजा, नुआखाई जंताल पूजा, इंद्रोत्सव, दुर्गा पूजा, काली पूजा के साथ साथ मुहर्रम का भी आयोजन किया जाता है. साथ ही प्रत्येक सप्ताह खरसावां के कुम्हारसाही स्थित पाउड़ी पीठ में मां पाउड़ी की पूजा की जाती है.

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1948 में पहली बार मिला था 5,587 रुपये का आवंटन

खरसावां में दस धार्मिक अनुष्ठानों के लिये सरकार के विधि विभाग की ओर से खरसावां अंचल कार्यालय को राशि दी जाती है. बताया जाता है कि पहली बार 1948 में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिये तत्कालीन बिहार सरकार से 5,587 रुपये का आवंटन मिला था. पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार से 7.5 लाख की राशि मिली थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में साढ़े पांच लाख का आवंटन मिला था.

राजा-राजवाड़े के समय से होते आ रहा है रथ यात्रा का आयोजन

खरसावां में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन राजा-राजवाड़े के समय से होते आ रहा है. खरसावां राजघराने के राजा गोपाल सिंहदेव बताते हैं कि पहले इन आयोजनों के लिये राजकोष से राशि खर्च होती थी. देश की आजादी के बाद खरसावां रियासत का भारत गणराज्य में विलय के दौरान वर्ष 1947 में खरसावां के तत्कालान राजा श्रीरामचंद्र सिंहदेव ने भारत सरकार के गृह सचिव (राजनीतिक मामले) वीपी मेनन के साथ मर्जर एग्रीमेंट किया था. मर्जर एग्रीमेंट में उल्लेख है कि जिन धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठानों का आयोजन रियासत काल में राजा द्वारा किया जाता था, उन सभी अनुष्ठानों का आयोजन सरकारी स्तर से किया जायेगा. इसी एग्रीमेंट के तहत ही विभिन्न पूजा समेत अन्य अनुष्ठानों के लिये सरकार से आवंटन मिलता है. उन्होंने बताया कि इसमें सभी धर्म व समाज के लोगों के भावनाओं के अनुरूप पूजा व त्योहारों को स्थान दिया गया था. उन्होंने बताया कि पहली बार सन 1948 में इन पूजा के आयोजनों के लिये सरकार से 5,587 रुपये का आवंटन मिला था.

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बैठक में विभिन्न पूजाओं के आयोजन पर भी चर्चा की गयी. बैठक में मुख्य रूप से खरसावां राजघराने के राज गोपाल नारायण सिंहदेव, सीओ गौतम कुमार, मो दिलदार, राकेश दाश, नंदु पांडेय, सुमंत चंद्र मोहंती, सुशील षाडंगी, गोवर्धन राउत, मानिक सिंहदेव, रति रंजन नंदा, वैद्यनाथ नायक, हाबु षाडंगी, विजय साहू, ओम प्रकाश सिंह, कमलेश पड़िहारी आदि उपस्थित थे.

किस पूजा के लिये कितनी राशि खर्च होगी

पूजा : पिछले वर्ष खर्च हुई राशि : इस वर्ष होने वाली खर्च

चड़क पूजा : 35,000 : 40,000

रथ यात्रा : 62,500 : 70,000

धुलिया जंताल : 20,000 : 22,000

इंद्र पूजा : 10,000 : 12,000

मुहर्रम : 18,000 : 20,000

नुआखाई जंताल : 17,000 : 20,000

दुर्गा पूजा : 1,21,000 : 1,25,000

काली पूजा : 55,000 : 60,000

सांस्कृतिक कार्यक्रम : 1,05,000 : 1,00,000

पाउंडी पूजा : 2,60,000 : 2,60,000

चैत्र पूजा : 00 : 1,30,000

रथ मरम्मत : 00 : 1,30,000

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