झारखंड के लगभग हर हिस्से में प्रचंड गर्मी पड़ रही है. आसमान से बरस रही आग ने पहले से ही लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. ऊपर से बेतरतीब बिजली कटौती इस ‘आग में घी’ का काम कर रही है. इस अव्यवस्था के कारण शहर से गांव तक जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. हालत यह है कि राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में दिन-रात लोडशेडिंग कर काम चलाया जा रहा है.
शहरी इलाकों में औसतन आठ घंटे, जबकि ग्रामीण इलाकों में बमुश्किल चार घंटे ही बिजली मिल पा रही है. बिजली के अभाव में शहरों में पेयजल आपूर्ति भी बाधित है. उधर, डीवीसी कमांड एरिया में भी कटौती कर आपूर्ति की जा रही है. गौरतलब है कि झारखंड में पिछले पांच दिनों से बिजली संकट गहराया हुआ है. इनलैंड पावर और सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट में पहले से ही उत्पादन बंद है.
वहीं, समय पर 45 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं होने के कारण रविवार से ही आधुनिक पावर की ओर से 180 मेगावाट बिजली की आपूर्ति रोक दी गयी थी. ऐसे में सेंट्रल पूल से बुकिंग के बाद भी राज्य को बिजली नहीं दी जा रही थी. इससे राज्य को करीब 250 मेगावाट कम बिजली की आपूर्ति की जा रही थी.
हालांकि, सोमवार को जेबीवीएनएल ने आधुनिक पावर को 21 करोड़ रुपये, जबकि मंगलवार को 27 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. आधुनिक पावर प्लांट की ओर से मंगलवार रात 12:00 बजे के बाद बिजली की आपूर्ति शुरू कर दी जायेगी. उम्मीद है कि बुधवार से राज्य में बिजली संकट बहुत हद तक कम हो जायेगा.
गर्मी के कारण पीक आवर में राज्य में बिजली की मांग लगभग 2600 मेगावाट पहुंच गयी है. लेकिन, राज्य को 2000 से 2100 मेगावाट ही बिजली मिल रही है. टीवीएनएल से 350, एनटीपीसी व अन्य सेंट्रल पूल से आठ से 1300 मेगावाट बिजली ही झारखंड को मिल रही है. पीक आवर में अचानक डिमांड बढ़ने पर आपूर्ति व्यवस्था भी चरमरा जाती है. ग्रिड या ट्रांसफॉर्मर में फॉल्ट आने पर भी घंटों बिजली काटी जा रही है. इसके अलावा डीवीसी कमांड एरिया में 600 से 700 मेगावाट बिजली की आपूर्ति डीवीसी द्वारा अलग से की जाती है. वर्तमान में डीवीसी भी कटौती कर आपूर्ति कर रहा है.