कानपुर : यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में कानपुर शहर के मेधावियों ने दबदबा बरकरार रखा है. 10 से अधिक युवाओं ने देश की सबसे बड़ी परीक्षा में सफलता हासिल की है. कानपुर के चैतन्य अवस्थी ने 37वीं रैंक प्राप्त की है. वहीं, कानपुर में रहकर पढ़ाई करने वाले अनिरुद्ध पांडेय ने 64वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना साकार किया है.शहर की बेटी कृतिका मिश्रा ने 66वीं रैंक और हिन्दी माध्यम से देशभर में पहली रैंक प्राप्त की है.उत्कर्ष एकेडमी की निदेशक डॉ.अलका दीक्षित ने बताया कि यूपीएससी में साक्षात्कार के बाद संस्थान के आठ मेधावियों ने सफलता प्राप्त की है. छात्रावास में रहकर तैयारी करने वाली कृतिका मिश्रा ने सफलता की मिसाल पेश की है.
यूपीएससी में 37वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस बनने वाले चैतन्य अवस्थी ने माता-पिता के सपने को पूरा किया है.साल 2021 कोरोना काल के उनके पिता वरिष्ठ पत्रकार संतशरण अवस्थी का निधन हो गया था. चैतन्य बताते हैं कि ”मैंने यूपीएससी की तैयारी ही शुरू की थी, पिता का निधन हो गया. उनके जाने के गम ने मुझे तोड़ दिया लेकिन मां (प्रतिमा देवी) ने संभाला. वह कहते हैं कि मां के बल पर पहले प्रयास में ही आईएएस बना हूं. मूलत: औरैया के बेलूपुर बिधूना निवासी चैतन्य बर्रा गांव में रहते हैं. कोलकाता में नेशनल लॉ कॉलेज से बीए-एलएलबी की पढ़ाई की. वर्ष 2021 में पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी की तैयारी की. वर्ष 2022 में पहली बार यूपीएससी दिया व सफलता हासिल की.
हिन्दी माध्यम से कृतिका का देश मे पहला स्थान बचपन से ही होनहार रही कृतिका ने एक बार फिर अपने माता-पिता के साथ शहर का नाम रोशन किया है. 2015 में अपनी लेखन क्षमता से बालश्री पुरस्कार पाने वाली कृतिका मिश्रा ने यूपीएससी में 66वीं रैंक हासिल की है. हिन्दी माध्यम वर्ग में कृतिका को देश में पहला स्थान मिला है. उनको यह सफलता दूसरे प्रयास में मिली है. पहले प्रयास में साक्षात्कार में उनके 10 अंक कम रह गए थे.पीरोड में रहने वाली कृतिका के पिता डॉ. दिवाकर मिश्रा बीएनएसडी इंटर कॉलेज चुन्नीगंज में वाणिज्य विभाग में प्रवक्ता हैं . मां सुषमा एलआईसी में हैं. बहन मुदिता मिश्रा भी युवा संसद की विजेता रही हैं.बीएनएसडी इंटर कॉलेज से 12वीं पास करने के दौरान स्कूल के हर कार्यक्रम में संचालन का जिम्मा कृतिका के पास ही रहा. पीपीएन कॉलेज से स्नातक किया और हिन्दी से उनका जेआरएफ में चयन हुआ. कृतिका ने बताया कि बालश्री होने कारण साक्षात्कार में बालश्री, क्रिएटिव राइटिंग के महत्व, राज्यभाषा की स्थिति, यूपी में महिलाओं की स्थिति आदि से जुड़े खूब सवाल पूछे गए.आईएएस बनकर वह महिलाओं की स्थिति और शिक्षा पर काम करना चाहती हैं.
शहर में तैनात IPS के भाई 318 रैंक लाकर बने आईएएस राजस्थान के अलवर जिले के खेड़ली के बंगन का नगला गांव के रहने वाले प्रद्युम्न सिंह यादव ने यूपीएससी में तीसरे प्रयास में 318वीं रैंक हासिल की है.उनके पिता मान सिंह यादव स्कूल में वाइस प्रिंसिपल हैं. 2018 में भाई लखन आईपीएस बने. लखन वर्तमान में कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात है.उनकी भाभी लक्ष्मी भी यूपी में आईएएस हैं. प्रद्युम्न को 3 साल पहले 1 करोड़ रुपए से अधिक का पैकेज मिला था लेकिन उन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की. मेहनत करते रहे. 2022 की यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता मिली है तो परिवार में भी खुशी का माहौल है.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी