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UP: प्रो. विनय पाठक के खिलाफ एकेटीयू की बैठाई जांच निरस्त, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दिया आदेश, जानें वजह

कानपुर की सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक को बड़ी राहत मिली है. राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने उनके खिलाफ एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति द्वारा बैठाई गई जांच को निरस्त कर दिया है. प्रो. पाठक ने इसके लिए कुलाधिपति को पत्र लिखकर नियमों का हवाला दिया था.

Lucknow News: प्रदेश की राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी (CSJMU) के कुलपति प्रो.विनय पाठक के खिलाफ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के तत्कालीन कुलपति द्वारा बैठायी गई जांच को निरस्त करने का आदेश दिया है. कुलाधिपति ने इसके पीछे नियमों का हवाला दिया है. कुलपति प्रो. विनय पाठक ने इस संबंध में कुलाधिपति को पत्र लिखकर जांच खत्म करने का अनुरोध किया था.

एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति प्रदीप कुमार मिश्रा ने यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के विरुद्ध मामले की जांच के लिए जस्टिस (रिटायर्ड) प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. इसे लेकर CSJMU के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने विगत 28 अप्रैल को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर इसे नियमों के विरुद्ध बताते हुए समाप्त करने की गुजारिश की.

इसमें प्रो. विनय पाठक ने कहा कि तत्कालीन कुलपति प्रदीप कुमार मिश्रा ने उनके विरुद्ध डॉ. अभिजीत सिन्हा की मनगढ़ंत शिकायतों के आधार पर जांच बैठाई है, जिसे समाप्त कर दिया जाए. दरअसल उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 की धारा 9 और 10 के साथ ही डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय विनियम 2010 के तहत कुलपति को अपने पूर्वाधिकारी के विरुद्ध कोई जांच कार्यवाही करने का प्रावधान नहीं है. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 की धारा 9 (6) व 9 (7) के मुताबिक भी कुलपति के विरुद्ध जांच कुलाधिपति के स्तर से संपन्न की जा सकती है.

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प्रो. पाठक ने इन नियमों का हवाला देते हुए कहा कि इसके बावजूद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने अपने स्तर से ही हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जो नियमों के विरुद्ध है. इसमें सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश संजय व सोनभद्र राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. जीएस तोमर को सदस्य बनाया गया.

शिकायतकर्ता ने प्रो. पाठक के खिलाफ कार्य परिषद व वित्त समिति की बैठक के निर्णयों की जांच, उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों की जांच, ई-कंसोर्टियम की जांच, पीएनबी हाउसिंग में 700 और 1000 करोड़ के निवेश, परीक्षा के गोपनीय कार्यों में 100 करोड़ के निवेश, डीडीक्यूआईपी में 300 करोड़ के भुगतान, गोल्ड बांड में निवेश, प्लैगरिज्म व पीएचडी, विनियमितीकरण, आगरा व एकेटीयू के कार्य परिषद में नामित होने, प्रो. विनीत कंसल व प्रो. अनुराग त्रिपाठी की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति, निर्माण कार्यों में भुगतान की जांच की मांग उठाई थी. हालांकि अब जांच समिति का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा.

कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने नियमों के आधार पर तत्कालीन कुलपति प्रदीप कुमार मिश्रा द्वारा प्रो. विनय कुमार पाठक कुलपति के विरुद्ध 1 फरवरी 2023 को बैठाई गई इस जांच को निरस्त कर दिया है. कुलपति प्रो. विनय पाठक कई मामलों को लेकर एसटीएफ, सीबीआई जांच के घेरे में आ चुके हैं.

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