रोहिणी नक्षत्र में मौसम के प्रवेश करने के साथ ही किसान धान का बीज डालने की तैयारी में जुट गये हैं. खाद-बीज का इंतजाम करने के साथ ही नर्सरी तैयार करने के लिए खेत की जोताई का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. किसानों के अनुसार, धान की नर्सरी उसकी रोपाई से कम से कम करीब 25 दिन पहले डाली जाती है. किसानों की तैयारी को देखते हुए खाद-बीज विक्रेता भी सामान स्टॉक करने लगे है़ं कृषि विभाग के साथ कृषि वैज्ञानिकों की ओर से नर्सरी व धान के किस्मों को लेकर जानकारी दी जा रही है.
किसानों को लंबी अवधि वाले धान के किस्मों में राजश्री, राजेंद्र मंसूरी, किशोरी, स्वर्णा की नर्सरी लगाने का सुझाव दिया गया है. एक हेक्टेयर में रोपाई के लिए 800 से 1,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. बीज की व्यवस्था सही जगह से करने की बात कही गयी है. दूसरी ओर बीज विक्रेता कंपनियों के लोग खेती-किसानी वाले क्षेत्रों में पहुंचकर अपने बीज के बारे में किसानों को बताना भी शुरू कर दी है.
कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो खेती में जितनी तैयारी के साथ समय से नर्सरी डाली जाती है, रोपाई का कार्य किया जाता है, उतनी ही अच्छी पैदावार होती है. पिछले कुछ वर्षों से कम वर्षा भी हो रही है. ऐसे में किसानों को कम समय में तैयार होने वाली प्रजाति का बीज नर्सरी में डालने की भी सलाह दी गयी है.