पश्चिमी सिंहभूम जिले के आनंदपुर प्रखंड क्षेत्र में मंगलवार को लगने वाले साप्ताहिक हाट में चापाकल और जलमीनार खराब पड़े हैं. जिसके कारण हाट आने वाले ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पानी की सुविधा नहीं रहने के कारण हाट में होटल, चाइनीज फूड और अन्य खाने-पीने की चीजें रखने वाले दुकानदार काफी त्रस्त हैं.
पहले साप्ताहिक हाट में 3 चापाकल और एक जलमीनार था. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा निर्मित जलमीनार से साप्ताहिक हाट के अलावा अन्य दिनों आवागमन करने वाले ग्रामीणों को भी पेयजल की सुविधा होती थी. हाट परिसर का जलमीनार लंबे अरसे से खराब है. ग्रामीणों के अनुसार मरम्मती के अभाव में हाट परिसर में लगाये गए चापाकल भी अब बेकार हो गए हैं. साप्ताहिक हाट परिसर से हटकर एकमात्र चापाकल है जो हाट के ग्रामीणों की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है.
दूरदराज से हाट आते हैं ग्रामीण
आनंदपुर में मंगलवार को लगने वाला साप्ताहिक हाट जिले के बड़े हाट में शुमार आता है. आनंदपुर प्रखंड के सुदूर इलाके के अलावा यहां मनोहरपुर और गोइलकेरा के ग्रामीण वन्य उत्पाद, कृषि उत्पाद, खस्सी, बकरा, बकरी, मुर्गे आदि की खरीद-बिक्री के लिए आते हैं. साप्ताहिक हाट के दिन ग्रामीण अपनी दैनिक उपयोग की सामग्री की खरीददारी करते हैं. साथ ही आनंदपुर के स्थायी दुकानों से खेती के लिए बीज, खाद आदि लेकर जाते हैं. कई सुदूर गांव से मंगलवार को सहज आवागमन की सुविधा मिलती है, इसलिए मंगलवार के दिन ग्रामीण प्रखंड कार्यालय और बैंक के कार्यों को भी पूरा करते हैं. पानी की असुविधा और कड़ी धूप से बचने के लिए मंगलवार को ग्रामीण आनंदपुर राजपरिवार के बगीचे में आश्रय लेते हैं.
मरम्मती के अभाव में बेकार हुए सभी चापाकल
आनंदपुर राजपरिवार के राजा प्रताप रुद्र सिंहदेव ने बताया कि साप्ताहिक हाट परिसर के सभी चापाकल एक-एक करके खराब हो गए. ससमय मरम्मती के अभाव में सभी चापाकल अब बेकार हो चुके हैं. पूर्व में मरम्मती के लिए आवेदन दिया गया था. साप्ताहिक हाट के दिन ग्रामीण छोटे दुकानदार पानी के लिए भटकते रहते हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
जलमीनार मरम्मती के लिए कई बार आवेदन दिया गया. पंचायत जनप्रतिनिधि को इस बात से अवगत कराया गया. जलमीनार की मरम्मती नहीं हुई. अब तो मरम्मती की उम्मीद भी नहीं है- मनोज कुमार गुप्ता, आनंदपुर, बाजार टांड
बाजार टांड परिसर नजदीक चापाकल में दुकानदारों की सुबह से भीड़ लग जाती है. सुबह के 11 बजे तक चापाकल का पानी खत्म हो जाता है. बावजूद ग्रामीण पानी की आस में चापाकल तक आते रहते हैं- मंगला चरण साहू, आनंदपुर
मंगलवार को साप्ताहिक हाट से दूर खेत में बने सिंचाई कुआं पर भीड़ लग जाती है. कुआं से काफी दुकानदार और ग्रामीणों के पानी की जरूरत पूरी होती है. बरसात के दिन कुआं तक जाना मुश्किल होता है- आशुतोष साहू, आनंदपुर