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अमृतसर-कोलकाता कॉरीडोर के निर्माण में फंसा पेंच, कहीं जमीन की अवैध जमाबंदी तो कहीं रैयतों के मतभेद से लटका काम

बिहार में अमृतसर-कोलकाता कॉरीडोर के लिए कुल 1670.22 एकड़ रकबे का अधिग्रहण होना है. अभी तक केवल 636.88 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया गया है. कॉरीडोर के लिए कुल 1579 रैयतों से जमीन ली जानी है.

राजदेव पांडेय ,पटना. अमृतसर-कोलकाता कॉरीडोर के लिए भू अर्जन बड़ी बाधा बन गया है. यह कॉरीडोर बिहार में गया जिले के डोभी प्रखंड से गुजरेगा. कॉरीडोर के लिए अब तक केवल 38 फीसदी भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को भेजा गया है. दरअसल इस प्रोजेक्ट के लिए भू अधिग्रहण के काम में भारी संख्या में अवैध जमाबंदी के मामले पहचाने गये हैं. इसकी वजह से भू अधिग्रहण में दिक्कत आ रही है.

1670.22 एकड़ रकबे का अधिग्रहण होना है

जानकारी के मुताबिक बिहार में इस कॉरीडोर के लिए कुल 1670.22 एकड़ रकबे का अधिग्रहण होना है. अभी तक केवल 636.88 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया गया है. कॉरीडोर के लिए कुल 1579 रैयतों से जमीन ली जानी है. इनमें से अभी तक कुल 523 रैयतों को भुगतान हो सका है. कॉरीडोर भूमि अधिग्रहण के लिए केंद्र से 219.75 करोड़ की राशि मिली है. इसमें से अभी तक केवल 113.22 करोड़ की राशि का भुगतान हो सका है. इस बीच केंद्र को राज्य सरकार ने आश्वस्त किया है कि इस साल पंद्रह जून मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.

13 मौजों में भुगतान किया जा रहा

हालात ये हैं कि सरकारी भूमि की भी अवैध जमाबंदी कायम हो जाने की वजह से परवाना रद्दीकरण का काम करना पड़ा है. मुआवजा भुगतान में कुछ और भी दिक्कतें हैं. उदाहरण के लिए कॉरीडोर में ऐसी भी जमीन है ,जिसमें रैयतों की जमाबंदी पूर्वजों के नाम पर है. उनके वंशजों में आपसी सहमति नहीं हो पा रही है. फिलहाल धीरे-धीरे ही सही कॉरीडोर प्रभावित क्षेत्रों में आने वाले 13 मौजों में भुगतान किया जा रहा है. परियोजना की अधियाचना लगभग दो साल पहले की गयी थी. मुआवजा भुगतान के लिए दूसरा नोटिस जारी किया जा रहा है. इसके बाद भी अगर रैयतों से आवेदन प्राप्त नहीं होते तो संबंधित रैयतों की राशि प्राधिकार को जमा करा दी जायेगी.

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विनिर्माण क्लस्टर किया जाना है स्थापित

गया जिले में डोभी के घमरिया क्षेत्र में करीब 1650 एकड़ की साइट को अमृतसर कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर (एकेआइसी) के हिस्से के रूप में एक एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (आइएमसी) के रूप में विकसित किया जा रहा है. यह कॉरिडोर बिहार के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा. इस कॉरीडोर के क्षेत्रों में औद्यागिक बस्तियां बसायी जानी हैं. यह कॉरीडोर भारत की सर्वाधिक आबादी वाले क्षेत्र में पहचाना गया है. कॉरीडोर के संदर्भ में कुछ दिन पहले ही बिहार में केंद्र के अफसर आये थे, जिनके साथ बिहार के अफसरों एवं एजेंसियों के बीच मैराथन बैठक हुई थी.

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