World No Tobacco Day: 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जा रहा है. लेकिन, इसे मनाने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है, यही सबसे बड़ा विषय है. जैसा कि ज्ञात हो तम्बाकू का सेवन केवल छोटी-मोटी समस्याएं ही नहीं बल्कि मौत लाने वाली कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन रही है. सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि झारखंड के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान RIIMS में प्रति महीने तंबाकू से होने वाले कैंसर के करीब 100 रोगी जांच करवाने आ रहे हैं. जिनमें बराबर अनुपात में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं.
यही नहीं, ओरल डेंटल केयर के विभाध्यक्ष अजय साही जी के अनुसार शुरुआती स्टेज में केवल पुरुष ही बीमारी की जांच करवाने आ पा रहे हैं. प्राथमिक स्टेज में ही कैंसर डिटेक्ट होने के बाद इनका इलाज भी आरंभ हो पा रहा है. जबकि, महिलाएं इसमें पिछड़ जा रही हैं. उनके अनुसार हर माह करीब 20-25 कैंसर मरीजों की बढ़ोत्तरी हो रही है.
डॉ. प्रशांत गुप्ता, अपर प्रध्यापक, ओरल मेडिसिन विभाग, डेंटल कॉलेज, रिम्स की मानें तो गांव और शहर दोनों के महिला और पुरुष लगभग बराबर अनुपात में तंबाकू से होने वाले कैंसर के शिकार हो रहे हैं. हालांकि, गांव में रहने वाले ग्रामीणों के मुकाबले शहरी लोग इलाज करवाने ज्यादा मात्रा में पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण है. ग्रामीणों में जानकारी का अभाव होना. यही कारण है कि ऐसे लोग कैंसर के एडवांस स्टेज में पहुंच रहे है. जिससे उनकी मृत्यु भी अधिक हो रही है.
वहीं, डॉ. अजय साही की मानें जानकारी के अभाव के कारण इस्टर्न इंडिया जैसे के झारखंड, बंगाल, बिहार व उत्तर प्रदेश में ओरल कैंसर का रेट पूरे भारत में सबसे ज्यादा है.
डॉ. प्रशांत गुप्ता की मानें तो 95 प्रतिशत ओरल कैंसर का खतरा टोबैको या अन्य तंबाकू रिलेटेड प्रोडक्ट को यूज करने से होता है. जिनमें सिगरेट, गुटका, गुल, खैनी, सुपारी, बीड़ी आदि शामिल है.
डॉ. अजय साही ने कहा कि तंबाकू के सेवन से माउथ कैंसर, गले का कैंसर, लंग या फेफड़े का कैंसर समेत अन्य जानलेवा बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
उन्होंने बताया कि रांची रिम्स में टोबैको काउंसलिंग सेंटर, ओरल मेडिसिन डायग्नोसिस सेंटर है. जहां मरीजों की प्राइमरी स्क्रीनिंग करवा सकते हैं.
जहां तंबाकू काउंसलिंग सेंटर में हमारे द्वारा लोगों को इसके सेवन को त्यागने के लिए प्रेरित किया जाता है. वहीं, ओरल मेडिसिन डायग्नोसिस सेंटर में माउथ कैंसर को शुरूआती दौर में डिटेक्ट करके उसे जड़ से समाप्त करने की कोशिश होती है. डॉ. प्रशांत गुप्ता के अनुसार बायोप्सी एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम मरीज को कन्फर्म करते हैं कि उन्हें कैंसर का कितना खतरा है. उन्होंने बताया कि 31 मई 2022 में ही मुख्य कैंसर जांच केंद्र का उद्घाटन किया गया था. जिसके बाद से यहां हर महीने करीब 100 कैंसर मरीज इलाज करवा रहे हैं. जिनमें पहले से एक्टिव कैंसर मरीज भी शामिल हैं.
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खाना खाते वक्त मुंह में जलन होना
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मुंह में हुए छाले या घाव का लंबे समय तक ठीक न होना
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मुंह का कम खुलना
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मुंह का सूखा रहना या लार कम बनना
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मुंह में सफेद या लाल दाग, धब्बे बनना
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मुंह में सूजन या मसूड़ों का बढ़ना
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दातों का बिना किसी कारण निकल जाना
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आवाज में बदलाव
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खाना खाने या बोलने में तकलीफ
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वजन का तेजी से गिरना
तंबाकू या इससे संबंधित प्रोडक्ट का सेवन छोड़ने मात्र से ही बचाव संभव है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.