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खेल संस्कृति का उत्साहजनक विकास

खेलों पर प्रधानमंत्री मोदी के विशेष ध्यान और खेल विकास के प्रति सरकार के समग्र दृष्टिकोण के फलस्वरूप भारत ने अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. हमारे एथलीटों ने ओलंपिक, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतकर और रिकॉर्ड बनाकर नयी ऊंचाइयों को छुआ है.

पीटी उषा, अध्यक्ष, भारतीय ओलिंपिक संघ

एक खिलाड़ी के रूप में अपनी यात्रा पर विचार करने और अब भारतीय ओलिंपिक संघ की पहली महिला अध्यक्ष होने पर मैं गर्व और संतुष्टि की गहरी भावना से अभिभूत हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों के दौरान भारतीय खेलों में हुए अभूतपूर्व बदलाव वास्तव में विस्मयकारी रहे हैं. ये बदलाव कई स्तरों पर हुए हैं और उनके अच्छे परिणाम भी हमारे सामने आते जा रहे हैं. परिवर्तनकारी अवसंरचना विकास से लेकर विशेष ध्यान केंद्रित करने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम और धनराशि आवंटन को बढ़ाने तक, विभिन्न पहलुओं में हमारे देश ने खेल उपलब्धियों में अभूतपूर्व वृद्धि को देखा और अनुभव किया है.

भारतीय खेलों में हुए इस बदलाव के सबसे उल्लेखनीय पहलुओं में से एक है- विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली महिला एथलीटों का अविश्वसनीय प्रदर्शन. कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद इन महिला खिलाड़ियों ने अद्वितीय दृढ़ संकल्प और सहनशीलता का प्रदर्शन किया है, जो बेहद प्रेरणादायक और उत्साहजनक है. एथलेटिक्स, हॉकी, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, कुश्ती, भारोत्तोलन और मुक्केबाजी जैसे कई खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी उल्लेखनीय सफलता उनकी अदम्य भावना और उनके अटूट समर्पण का प्रमाण हैं.

प्रधानमंत्री मोदी का हमारे खिलाड़ियों के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव वास्तव में प्रेरणादायक रहा है. एथलीटों के कल्याण में उनके अटूट समर्थन और वास्तविक रुचि से विश्वास एवं प्रेरणा की एक मजबूत भावना विकसित हुई है. एथलीटों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत, उनके द्वारा कहे गये प्रोत्साहन के शब्द तथा खिलाड़ियों की प्रगति में उनकी गहरी दिलचस्पी से खेल बिरादरी में गौरव और जिम्मेदारी की भावना पैदा हुई है. यह व्यक्तिगत जुड़ाव भारतीय एथलीटों के आत्मविश्वास बढ़ाने और विजेता बनने की मानसिकता के निर्माण में एक लंबी दूरी तय कर चुका है.

खेलों के बजट आवंटन में भारत सरकार द्वारा की गयी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हमारी सफलता की एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति रही है. खेलों की परिवर्तनकारी शक्ति की पहचान करते हुए भारत सरकार ने खेलों के लिए समुचित धनराशि के आवंटन को लगातार प्राथमिकता दी है, जिसके परिणामस्वरूप अवसंरचना निर्माण, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और एथलीटों के कल्याण में गुणात्मक वृद्धि हुई है. इस बढ़ी हुई वित्तीय सहायता ने एथलीटों को बिना किसी वित्तीय बाधा के उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये हैं तथा इससे यह भी सुनिश्चित हुआ है कि उनका ध्यान केवल खेल में उत्कृष्टता हासिल करने पर केंद्रित रहे.

‘खेलो इंडिया’ पहल हमारे देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में और इसके लिए एक मजबूत जमीनी आधार तैयार करने में बहुत सहायक रही है. इस कार्यक्रम ने न केवल खेलों में भागीदारी को प्रोत्साहित किया है, बल्कि युवा एथलीटों को महत्वपूर्ण समर्थन और आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान किया है. इस अभियान के तहत अंतर-स्कूल और अंतर-कॉलेज प्रतियोगिताओं के आयोजन के माध्यम से देश के कोने-कोने से छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने में सफलता मिल रही है. इस कार्यक्रम ने युवा एथलीटों को बड़े सपने देखने के लिए आवश्यक विश्वास और ठोस प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है. इस प्रतियोगिता ने उनके भविष्य के चैंपियन बनने के लिए उज्जवल मार्ग प्रशस्त किया है.

प्रधानमंत्री मोदी के ‘फिट इंडिया’ अभियान ने देश की आरोग्यता और तंदुरुस्ती के परिदृश्य में सकारात्मक परिवर्तन लाने में एक सफल उत्प्रेरक की भूमिका निभायी है. इस पहल ने एक सक्रिय जीवनशैली के महत्व पर जोर देते हुए विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों भारतीयों को खेलों को अपनाने और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित और उत्साहित किया है. ‘लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना’ (टॉप्स) भारतीय खेलों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने वाली सबसे प्रभावशाली पहलों में से एक है. टॉप्स का कार्यान्वयन गेम-चेंजर रहा है क्योंकि यह देश की बेहतरीन खेल प्रतिभाओं की पहचान करता है और उनका पोषण एवं मार्गदर्शन करता है. इस योजना के माध्यम से एथलीटों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, विशिष्ट कोचिंग और वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है. इस योजना से यह भी सुनिश्चित हुआ है कि उनके पास वैश्विक मंच पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों. व्यक्ति आधारित ध्यान और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने नि:संदेह हमारे एथलीटों के असाधारण प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.

राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) की स्थापना ने भारत में खेल परिदृश्य में क्रांति ला दी है. ये केंद्र अत्याधुनिक अवसंरचना, अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं तथा शीर्ष प्रशिक्षकों व सहायक कर्मचारियों तक पहुंच आदि की सुविधा प्रदान करते हैं. एनसीओई उत्कृष्टता के केंद्र बन गये हैं, जहां एथलीट विश्वस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और अंतरराष्ट्रीय मानकों से अवगत होते हैं. इन केंद्रों ने खिलाड़ियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इससे उन्हें अपनी वास्तविक क्षमता का अनुभव प्राप्त करने में सहायता मिली है. खेलों पर प्रधानमंत्री मोदी के विशेष ध्यान और खेल विकास के प्रति सरकार के समग्र दृष्टिकोण के फलस्वरूप भारत ने अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. हमारे एथलीटों ने ओलंपिक, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतकर और रिकॉर्ड बनाकर नयी ऊंचाइयों को छुआ है. अब विश्व स्तर पर हमारे एथलीटों को सच्चे चैंपियन के रूप में देखा जाता है.

मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि खेल, सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है. युवा भारतीयों को खेलों से अवगत कराने से उनके शारीरिक स्वास्थ्य और चरित्र निर्माण में सुधार होगा तथा यह सामाजिक सुधार और मानव संसाधन विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. प्रधानमंत्री मोदी की सरकार, जिसने अभी-अभी अपना नौवां वर्ष सफलतापूर्वक पूरा किया है, के साथ मिलकर भारतीय ओलंपिक संघ सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है कि हमारे युवा विभिन्न प्रकार के खेलों में रुचि लें, ताकि हम एक देश के रूप में महान ओलंपिक आदर्श ‘सिटियस, अल्टियस, फोर्टियस’ यानी अधिक तेज, अधिक ऊंचा, अधिक मजबूत के लक्ष्य के और करीब पहुंचें.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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