World No Tobacco Day: बुधवार को वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया गया. जगह-जगह पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को खैनी वगैरह नहीं खाने की अपील की गयी. पूरे वर्ष समय-समय पर जागरूकता अभियान के अलावा पुलिसिया कार्रवाई भी की जाती है, ताकि लोगों को खैनी गुटखा सहित अन्य नशीली खाद्य पदार्थों से बचाया जा सके. लेकिन, पलामू में दिनोंदिन खैनी की खपत बढ़ती जा रही है. साथ ही इस व्यापार में कई लोग लगे हुए हैं. व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. इसके खाने वाले उपभोक्ताओं की संख्या ज्यादा है. खैनी खाने वाले लोग इससे कोई परहेज नहीं कर रहे हैं. खैनी आमतौर पर गाड़ी चालक, मजदूर, रेलवे कुली, रिक्शा चालक इसका ज्यादा उपयोग करते हैं. हालांकि कई काफी पढ़े लिखे लोग भी छिपाकर खैनी का सेवन करते हैं.
सवा करोड़ रुपये का होता है व्यवसाय
पलामू में प्रत्येक महीने 17 से 18 ट्रक खैनी बाहर से आता है. सबसे ज्यादा खैनी बिहार, उत्तर प्रदेश व असम से आता है. यहां के लोग बिहार की खैनी को ज्यादा पसंद करते हैं. खैनी अक्सर गठरी के रूप में बांधकर लाया जाता है. जिसका एक गठरी एक क्विंटल 20 किग्रा का होता है. जो पांच से छह हजार में होलसेलर खुदरा व्यापारी को बेचता है. खुदरा व्यापारी इसे सौ से डेढ़ सौ रुपये किलो बेचता है. एक ट्रक में 50 से 60 गठरी लाया जाता है. इस तरह से पलामू में करीब एक से सवा करोड़ रुपये का व्यापार प्रत्येक महीना होता है. बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी होने के कारण व्यापारी अपना नाम नहीं बताना चाहते हैं, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि कोरोना के समय खैनी की बिक्री कम हो गयी थी. लेकिन, फिर से इसकी बिक्री तेजी से बढ़ गयी है. खैनी बेचने वालों का कहना है कि हम लोगों का यह व्यापार है. हम लोग सब्जी वालों के जैसा चिल्लाकर तो खैनी नहीं बेचते हैं, बल्कि जो हमारे दुकान पर आता है उसको खैनी देते हैं.
कैंसर को निमंत्रण देता खैनी
सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ डीके सिंह का कहा कि खैनी खाने से गला, जीभ व ओठ का कैंसर होता है. इससे लोगों की जान चली जाती है. लोगों को पता भी नहीं चल पाता है और खैनी खाने वाले लोगों को कैंसर पकड़ लेता है. उन्होंने कहा कि खैनी खाने से दूर रहना चाहिए.