पटना. बिहार में विधानसभा के चुनाव 2025 में हैं, लेकिन सीएम पद को लेकर पार्टी में घमासान मचा हुआ है. एक ओर गिरिराज सिंह बेगूसराय में सम्राट चौधरी के नाम पर नारे लगवा रहे हैं, तो दूसरी ओर छपरा में सांसद राजीव प्रताप रूडी खुद को सीएम पद का दावेदार बता गये. ऐसे में अब नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा का ताजा बयान इस रार को और आगे बढ़ा दिया है. बिहार विधानमंडल के नेता विजय सिन्हा ने साफ शब्दों में कहा है कि भाजपा की ओर से बिहार का अगला मुख्यमंत्री आरएसएस के संस्कार वाला होगा. विजय सिन्हा के इस बयान से जहां सम्राट चौधरी रेस से बाहर हो रहे हैं, वहीं विजय सिन्हा ने खुद को रेस में शामिल कर लिया है.
भाजपा के अंदर संघ से रिश्ता रखनेवालों की एक अलग लॉबी है. बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी की यहां बात करें तो उनकी पृष्ठभूमि आरएसएस नहीं है. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत राजद से की. राबड़ी देवी और नीतीश कुमार की सरकार में वे मंत्री भी रहे. वो हाल में ही भाजपा में शामिल हुए हैं. आरएसएस से उनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है. वहीं नित्यानंद राय, विजय सिन्हा, गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, रविशंकर प्रसाद, सुशील मोदी और संजीव चौरसिया जैसे नेताओं का आरएसएस से संबंध रहा है.
विजय सिन्हा का ताजा बयान भाजपा के अंदर संघ के लोगों की घटती पूछ को भी सामने ला रहा है. विजय सिन्हा खुद आरएसएस से भाजपा में आये. विधायक बने और फिर स्पीकर के पद पर आसीन हुए. विधानसभा अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके मतभेद सार्वजनिक थे. यही कारण रहा कि गठबंधन टूटने के बाद उन्हें विधानसभा के अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा. पार्टी ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद पर बैठा दिया. दूसरी ओर सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. ऐसे में सीएम उम्मीदवार के रूप में दोनों की दावेदारी मजबूत हुई.
विजय सिन्हा सीएम पद की रेस से तब बाहर दिखने लगे जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान मंच से नारा लगवाया था कि बिहार का सीएम कैसा हो सम्राट चौधरी जैसा हो. उसके बाद यह नारा और कई जगहों पर भी सुनने को मिला. भाजपा के अंदर भी इस बात की चर्चा होने लगी कि सीएम सम्राट चौधरी ही होंगे. इसके बाद छपरा में राजीव प्रताप रूडी ने कह दिया कि भाजपा का नेतृत्व वे ही करेंगे. मेरे अलावा किसी की हिम्मत नहीं है कि वो इस आंदोलन का नेतृत्व कर सके.