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झारखंड का एक गांव, जहां मना है कुएं से पानी भरना, ऐसे संघर्ष कर रहीं महिलाएं

रांची के सिल्ली प्रखंड की बड़ा चांगड़ू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव में कमजोर तबके के कुछ परिवारों को परेशान किया जा रहा है. ये सिलसिला लंबे समय से जारी है. इन परिवार के लोगों को गांव की उच्च जाति के लोगों से मांग कर पीना पड़ता है. इनका सारा दिन पानी की जुगाड़ में ही गुजर जाता है.

सिल्ली (रांची), विष्णु गिरि. गर्मी चरम पर है. तपिश ऐसी है कि लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. यह बात तो समझ आती है कि गर्मी में पानी की किल्लत हो सकती है, लेकिन आज हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची से सटे सिल्ली ब्लॉक की, जहां पानी तो है, पर पीने नहीं दिया जा रहा है. कुएं से पानी भरने की मनाही है.

रांची के सिल्ली प्रखंड की बड़ा चांगड़ू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव में कमजोर तबके के कुछ परिवारों को परेशान किया जा रहा है. ये सिलसिला लंबे समय से जारी है. इन परिवार के लोगों को गांव की उच्च जाति के लोगों से मांग कर पीना पड़ता है. इनका सारा दिन पानी की जुगाड़ में ही गुजर जाता है. आज भी ये लोग दिन भर इस बात की बाट जोहते हैं कि कोई कुएं तक आये, जिससे उन्हें एक बाल्टी पानी नसीब हो. इनकी कहानी यहीं खत्म नहीं होती है. यदि उनकी मर्जी पानी देने की नहीं हुई, तो उनकी खरी-खोटी सुन मायूस होकर परिवार के लोगों को वापस लौट जाना पड़ता है. इनके लिए कुएं से पानी भरना मना है. अड़ाल नवाडीह में तीन लोहरा परिवार में करीब 19 सदस्य रहते हैं. इन्हें पानी के लिए रोजाना मशक्कत करनी पड़ती है.

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क्या कहती हैं गांव महिलाएं

मोहल्ले की कमला देवी ने बताया कि उनके मुहल्ले के आसपास सरकारी चापानल या कुआं नहीं है, जिससे वे पानी ले सकें. साल में कुछ माह तक तालाब के पास एक दाड़ी से पानी लेना पड़ता है, लेकिन गर्मी आने के बाद उनकी मुसीबत बढ़ जाती है. ऊंची जाति के लोगों के कुएं से पानी मांग कर लाना पड़ता है. हमें कुएं से पानी भरना मना है. कुएं के पास जाकर ऊंची जाति के लोगों का इंतजार करना पड़ता है. उनके आने के बाद ही उनसे वह पानी मांगती हैं.

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इच्छा होने पर ही देते हैं पानी

सीमा देवी ने कहा कि पानी मांगने के दौरान यदि उनकी इच्छा नहीं हुई, तो पानी नहीं देते हैं. गांव में ऊंची जाति के लोगों के चार अलग-अलग कुएं हैं. पुइतू देवी ने बताया कि पानी की असुविधा को लेकर मुखिया एवं नेताओं को कई बार बताया, लेकिन आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. अब तो मांग कर पानी पीने की आदत सी हो गयी है.

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उच्च जाति के लोगों के दाड़ी पर कोई नहीं जाता

गांववालों ने बताया कि इनलोगों को पानी पीने के लिए तालाब के समीप स्थित दाड़ी को छोड़ दिया गया है, लेकिन यह भी उच्च जाति की जमीन पर है. उनकी दाड़ी पर वे लोग नहीं जाते हैं.

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क्या कहते हैं बीडीओ

बीडीओ पावन आशीष लकड़ा ने कहा कि यह काफी गंभीर विषय है. वे स्वयं जाकर स्थिति की जांच करेंगे. उन्होंने संबंधित पंचायत सेवक को कार्यालय बुलाकर तत्काल गांव में जाकर पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है.

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