झारखंड सरकार ने स्पॉट टेस्टिंग शुरू की है. यह स्पॉट टेस्टिंग एक ऐसी प्रणाली है, जिसके तहत ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बीआरपी)/क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) स्कूल निरीक्षण के दौरान हर एक स्कूल में रैंडमली तीन बच्चों को चुना जाता है. फिर सभी बच्चों का सर्वे किया जाता है कि जो चीजें बच्चों को पढ़ाई जा रही है, वह उसे कितना सीख पा रहे हैं.
स्पॉट टेस्टिंग में पता चला कि महज 5 फीसदी बच्चे ही सीखने में सक्षम
इस सर्वे में सभी स्टूडेंट्स का हिंदी, गणित और अंग्रेजी विषय में परीक्षण किया जाता है, जहां बच्चों के मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता की जांच की जाती है. स्पॉट टेस्टिंग के जरिए झारखंड में महामारी से पहले के महीनों में प्रति माह 2 लाख बच्चों के सीखने के परिणाम डेटा एकत्र किया गया है. यह राज्य के सभी बच्चों का लगभग 5% है.
डेटा में परिवर्तन 0.5-1% की डिग्री तक सटीक
बीआरपीसीआरपी को आकलन पर सीधा प्रशिक्षण दिया गया था और उच्च स्तर की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए तार्किक जांच और फील्ड सत्यापन की एक सीरीज के साथ डेटा को सत्यापित और क्रॉस-चेक किया गया था. समय के साथ डेटा में परिवर्तन 0.5-1% की डिग्री तक सटीक होते हैं.
झारखंड सरकार का यह सर्वे दुनिया में बेस्ट- नीति आयोग
नीति आयोग ने अपने रिपेर्ट में कहा है कि पैमाने, ग्रैन्युलैरिटी, सटीकता और आवृत्ति को देखते हुए, यह कहना सुरक्षित है कि झारखंड के पास दुनिया में सबसे अच्छा और सबसे विस्तृत शिक्षण डेटा सिस्टम है. झारखंड ने एक लर्निंग ट्रैकिंग फॉर्मेट (एलटीएफ) भी स्थापित किया है, जहां प्रत्येक शिक्षक राज्य में प्रत्येक छात्र के लिए योग्यता स्तर का डेटा इनपुट करता है. स्पॉट टेस्टिंग के डेटा का उपयोग एलटीएफ डेटा को क्रॉस-वेरिफाइ करने और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा.
सर्वे के इस डेटा को विभिन्न प्रकार के निर्णय लेने के लिए उपयोग किया जा रहा है:
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जिला और ब्लॉकवार हर महीने प्रदर्शन का एनालाइसिस
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विशिष्ट पहलों के प्रभाव का आकलन
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विशिष्ट कार्य योजनाओं को निर्धारित करने के लिए जिला और ब्लॉक समीक्षा में सीखने के डेटा का उपयोग
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शिक्षक प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए विशिष्ट योग्यता अंतराल की पहचान
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पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तनों की पहचान
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जवाबदेही और पुरस्कार प्रणाली
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