20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में 1981 का वो रेल हादसा, जब पुल से गिरकर बागमती नदी में समा गयी थी बोगियां, गयी थी सैकड़ों जानें

ओडिशा में शुक्रवार को हुए भीषण रेल हादसे ने बिहार में 42 साल पहले हुए एक रेल हादसे की याद ताजा कर दी है जिसमें पूरी ट्रेन बागमती नदी में समा गयी थी. ट्रेन के डिब्बे अचानक पुल से नीचे गिर गए थे और करीब 300 से अधिक यात्रियों की मौत हो गयी थी.

ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को भीषण रेल हादसा हुआ जिसमें 70 से अधिक रेल यात्रियों की मौत हो गयी. 400 से अधिक यात्रियों के जख्मी होने की बात सामने आयी है. शुक्रवार शाम को तीन ट्रेनों में भीषण टक्कर हो गयी. एक ट्रेन बेपटरी हुई तो उसके डिब्बे दूसरी पटरी पर गिरे. वहीं उस लाइन पर आ रही ट्रेन जब उन कोचों से टकराई तो उस ट्रेन की भी कई बोगी पलट गयी. इसी बीच सामने से आ रही एक मालगाड़ी भी टकरा गयी. देश में फिर एकबार एक भीषण रेल हादसे ने सबको दंग किया है. भारत में इससे पहले भी कई रेल हादसे ऐसे हुए जिससे तबाही का मंजर सामने दिखा. ऐसा ही कुछ बिहार में 42 साल पहले हुआ था जब यात्रियों से खचाखच भरी एक ट्रेन बागमती नदी पर बने पुल पर पट गयी और नदी में कई बोगियां समा गयी थी.

6 जून 1981 का हादसा..

6 जून 1981 को बिहार में हुए एक रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. आज भी उस घटना को याद करने के बाद लोगों की रूह कांप जाती है. इस रेल हादसे में सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गये थे. यात्रियों से खचाखच भरी एक ट्रेन मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी. सभी यात्री अपनी-अपनी सीटों पर बैठकर यात्रा का आनंद ले रहे थे. ट्रेन बागमती नदी के ऊपर बने पुल को पार कर रही थी. अचानक इसी बीच ट्रेन में जोर से झटका लगता है. सभी यात्री अपनी सीट से इधर-उधर जा गिरते हैं. दरअसल, ड्राइवर ने अचानक ब्रेक मार दिया था. लोग इससे अंजान थे. ट्रेन के अंदर बैठे यात्री जब तक कुछ समझ पाते, तब तक ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर चुके थे.

बागमती नदी में समा गयी ट्रेन

ट्रेन के कई डिब्बे पुल से नीचे गिर गए और बागमती नदी में समा गए. कहा जाता है कि तब ट्रेन मानसी से आगे बढ़कर बदला घाट पहुंची थी. धमारा घाट की ओर ट्रेन बढ़ी ही थी कि अचानक मौसम खराब हो गया. उसके बाद तेज आंधी शुरू हो गयी और जोरदार बारिश पड़ने लगी. ट्रेन रेल के पुल संख्या 51 के पास पहुंची ही थी कि ट्रेन एक बार जोर से हिली. मौसम बिगड़ा तो सबने अपनी खिड़कियों और शीशों को बंद कर लिया. झटके की वजह से यात्री कांप गए. तभी एक जोरदार झटके के साथ ट्रेन पटरी से उतर गयी और कई डिब्बे हवा में लहराते हुए बागमती में समा गयी.

Also Read: बिहार में अभी सात दिनों तक चलेगी लू, मौसम विभाग ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट, जानिए अपने जिले की वेदर रिपोर्ट..
सैकड़ों यात्रियों की मौत

416 डाउन पैसेंजर ट्रेन के साथ हुई इस घटना में करीब 300 लोगों की मौत की बात सामने आयी थी. हालाकि स्थानीय लोगों की नजर में इससे कहीं अधिक मौत हुई थी. भारत के इतिहास में सबसे बड़ी रेल दुर्घटना के रूप में इसे तब देखा गया. तत्कालीन रेलमंत्री केदारनाथ पांडे ने तब घटनास्थल का दौरा किया था.

खत्म हो गया पूरा परिवार..

नदी से शव मिलने का सिलसिला हफ्तों चला था. सहरसा जिला अंतर्गत सिमरी बख्तियारपुर के मियांचक का एक घर अब खंडहर बन चुका है. इस घर के मुखिया जमील उद्दीन असरफ की मौत हो गयी है. पड़ोसी मनोवर असरफ ने बताया कि बागमती रेल कांड ने इस घर के आगे का वंश तक को खत्म कर दिया. जमील उद्दीन असरफ के रिश्तेदार के यहां शादी में उसका पूरा परिवार गया था. वापसी के दौरान इस भीषण हादसे में 11 महिला-पुरुष और बच्चे खत्म हो गए थे. ऐसे कई परिवार इस रेल हादसे में बर्बाद हो गए थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें