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झारखंड : बूढ़ा पहाड़ में बेतला से लाये जायेंगे 50 चीतल, ईको सिस्टम को संतुलित करने की कोशिश तेज

बूढ़ा पहाड़ में ईको सिस्टम को संतुलित करने और वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने कोशिशें तेज कर दी है. यहां ‘सॉफ्ट रिलीज सेंटर’ बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है. पहले चरण में बेतला से 40 मादा और 10 नर चीतल (हिरण) लाये जाएंगे.

बेतला (लातेहार), संतोष कुमार : गढ़वा और लातेहार जिले के अलावा छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले तक फैले बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराया जा चुका है. ऐसे में पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने यहां के ईको सिस्टम को संतुलित करने और वन्य प्राणियों के संरक्षण व संवर्धन की कोशिशें तेज कर दी हैं. चूंकि बूढ़ा पहाड़ पर तेंदुआ समेत अन्य मांसाहारी वन्य प्राणी पर्याप्त संख्या में हैं, इसलिए पीटीआर प्रबंधन ने यहां ‘सॉफ्ट रिलीज सेंटर’ स्थापित करने का प्रस्ताव बनाया है. इसके पहले चरण में बेतला नेशनल पार्क के 50 से अधिक चीतल (हिरण) को लाकर इस सेंटर में रखा जायेगा. इनमें 40 मादा और 10 नर चीतल शामिल होंगे. इसका उद्देश्य यहां मौजूद दर्जनों तेंदुआ व अन्य मांसाहारी वन्य प्राणियों को पर्याप्त मात्रा में आहार उपलब्ध कराना है.

एनटीसीए को भेजा प्रस्ताव

इस प्रस्ताव को भारत सरकार के नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को भेज दिया गया है. इसके अलावा बूढ़ा पहाड़ में पर्याप्त पानी की व्यवस्था करने, ग्रास लैंड को विकसित करने और पर्याप्त मात्रा में कैमरा लगाने सहित अन्य विकास योजनाओं को लागू करने के लिए राज्य सरकार को भी प्रस्ताव भेजा गया है. मालूम हो कि बूढ़ा पहाड़ और उसके आसपास के क्षेत्र लंबे समय तक नक्सलियों का गढ़ था. नक्सलियों से मुक्त कराने के बाद इस इलाके के गांवों की तस्वीर बदलने लगी है.

बूढ़ा पहाड़ में मौजूद जंगली जानवरों को पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था पीटीआर प्रबंधन

पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने बताया कि पीटीआर प्रबंधन इस साल बूढ़ा पहाड़ में मौजूद जंगली जानवरों को पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था में जुटा हुआ है. यहां के जानवरों को पूर्ण संरक्षण के प्रयास किये जा रहे हैं. जगह-जगह पर कैमरा ट्रैप लगाया गया है. सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं. वन विभाग के पदाधिकारी लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

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बूढ़ा पहाड़ पर पर्याप्त वन्य प्राणी मौजूद हैं

उन्होंने बताया कि बूढ़ा पहाड़ इलाके में पानी की पर्याप्त व्यवस्था है. इसके अलावा छोटे-छोटे चेकडैम एवं अन्य जलाशयों का निर्माण भी किया जा रहा है. राज्य सरकार को भी इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही स्वीकृति मिल जायेगी और इसी वर्ष से काम शुरू हो जायेगा. नक्सली गतिविधियां कम होने के बाद पीटीआर प्रबंधन के सीनियर पदाधिकारियों का लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. बूढ़ा पहाड़ पर पर्याप्त वन्य प्राणी मौजूद हैं, जिनकी तस्वीरें लगातार यहां लगाये गये कैमरा ट्रैप के जरिये प्राप्त हो रही हैं. विभागीय अधिकारियों के अनुसार कुछ वैसे दुर्लभ पशु-पक्षियों की तस्वीरें भी कैमरे में कैद हुई हैं, जिन्हें पहले इस क्षेत्र में कभी नहीं देखा गया था.

27 जनवरी को मुख्यमंत्री पहुंचे थे बूढ़ा पहाड़

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 27 जनवरी को बूढ़ा पहाड़ पहुंचे थे. उन्होंने 100 करोड़ रुपये के बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्लान (बीपीडीपी) की घोषणा की है. नक्सली गतिविधियों के कम हो जाने के बाद बूढ़ा पहाड़ से सटे गांव के विकास की गति तेज हो गयी है. जनजीवन सामान्य होने लगा है. वन्यजीवों के लिए संरक्षण व संवर्धन को लेकर शुरू किये गये अभियान को सुखद संकेत माना जा रहा है.

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