-सीमा जावेद-
धरती पर जैसे-जैसे ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है, जलवायु परिवर्तन की गति तेज हो रही है. दुनिया भर की आबादी चरम मौसम और जलवायु परिवर्तन की घटनाओं से गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है. उदाहरण के लिए 2022 में पूर्वी अफ्रीका में लगातार सूखा, पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ बारिश और चीन और यूरोप में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया. जिसकी वजह से खाद्य सुरक्षा पर खतरा और बड़े पैमाने पर पलायन जैसी समस्याएं सामने आयीं.
जर्नल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि हम अपने भविष्य और पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव के लिए बड़ा जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग इस हद तक बढ़ गया है कि कई जीवों की प्रजाति पर खतरा उत्पन्न हो गया है. दुनिया भर के 40 से अधिक वैज्ञानिकों को शामिल करने वाले अर्थ कमीशन नामक इस अध्ययन समूह का निष्कर्ष है कि ग्लेशियर का पिघलना, महासागर के जल में अत्यधिक कार्बन डाईऑक्साइड का घुलना यानी ओशन एसिडिफिकेशन, हीट वेव, कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा जैसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन की बानगी भर है.
भारत और पाकिस्तान पिछले कुछ सालों से हीटवेव का शिकार बन रहा है जिसकी वजह से इंसानी आबादी को बड़े पैमाने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा और इसने वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति पर भी असर डाला है. दुनिया के प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल द्वारा किये गये रैपिड एट्रीब्यूशन विश्लेषण के मुताबिक इंसान की नुकसानदेह गतिविधियों के कारण उत्पन्न जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी भयंकर गर्मी पड़ने की संभावना करीब 30 गुना बढ़ गयी है. अगर हालात एेसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब अगले कुछ वर्षों में दुनिया की लगभग आठ अरब में से 2.40 अरब आबादी पानी के गंभीर संकट से जूझ रही होगी. अंटार्कटिक का समुद्री बर्फ रिकॉर्ड स्तर तक पिघला है और कुछ यूरोपीय ग्लेशियरों का पिघलना तो गिनती से भी बाहर हो गया.
WMO स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट 2023 के अनुसार पिछले पूरे साल खतरनाक जलवायु और मौसम संबंधी घटनाओं ने लोगों के विस्थापन को बढ़ावा दिया. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक जलवायु परिवर्तन 216 मिलियन लोगों को अपने ही देशों में एक जगह से दूसरी जगह पलायन करने के लिए प्रेरित कर सकता है. 2050 तक दुनिया में 1.2 बिलियन क्लाइमेट रिफ्यूजी हो सकते हैं.
यूसीएल रिसर्च के नेतृत्व में नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन के एक नये अध्ययन से पता चला है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से पृथ्वी पर मौजूद अनेक जीव जंतु वनस्पति, पशु पछी की प्रजाति अचानक विलुप्ति की ओर धकेली जा रही हैं. ग्लोबल वार्मिंग 2. 5 डिग्री सेल्सियस तापमान तक बढ़ने पर ये प्रजातियां अचानक नष्ट हो सकती हैं. वह इतने गर्म वातावरण में पनप नहीं पा रही हैं और नष्ट हो रही हैं. टीम ने जानवरों की 35,000 से अधिक प्रजातियों (स्तनधारियों, एम्फीबियन, रेप्टाइल, पक्षियों, कोरल, मछली, व्हेल और प्लैंकटन सहित) हर महाद्वीप की समुद्री घास के डेटा और महासागर बेसिन सहित 2100 जलवायु अनुमानों का विश्लेषण किया है.
लैंसेट काउंटडाउन 2022 के मुताबिक क्लाइमेट चेंज अगर नहीं रूका तो इस सदी के अंत तक हर साल 3.4 मिलियन और अधिक ( मतलब वर्तमान में हो रही मौतों के अलावा) लोग असमय मौत की गोद में समायेंगे. ऐसे में आईपीसीसी की ताजा सिंथेसिस रिपोर्ट हमें आगाह करती है कि जलवायु परिवर्तन इंसान ही नहीं बल्कि पूरी धरती के भले के लिए खतरा है. यह रिपोर्ट हमें बताता है कि हम वैश्विक तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के बिल्कुल नजदीक खड़े हैं और यह बढ़ोतरी हमारी धरती और यहां रहने वाले लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है.
(लेखिका पर्यावरणविद हैं)
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