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झारखंड : गढ़वा में किसानों को केसीसी लोन देने से कतराने लगे हैं बैंक, जानें कारण

गढ़वा के 12,821 किसानों ने बैंकों से लिए लोन को वापस नहीं किया है. इसके कारण अब जिले के बैंक किसानों को केसीसी ऋण देने से कतरा रहे हैं. इन किसानों के पास विभिन्न बैंकों के करीब 69 करोड़ रुपये फंसे हैं. जिले में विभिन्न सरकारी और निजी बैंकों की कुल 85 शाखाएं हैं.

गढ़वा, पीयूष तिवारी : सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए खेती के लिए ऋण उपलब्ध कराने पर फोकस कर रही है. वहीं, बैंकों की ओर से किसानों के बीच बांटे गये करोड़ों रुपये के कृषि ऋण डूब रहे हैं. इस वजह से नये केसीसी ऋण देने में बैंक कतरा रहे हैं.

गढ़वा के 12821 किसानों ने नहीं लौटाये ऋण

31 मार्च, 2023 के आंकड़ों के अनुसार, गढ़वा जिले के 12,821 किसानों ने बैंकों से कृषि ऋण लेकर उसे लौटाया नहीं है. इनमें ज्यादातर मामले केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) से जुड़े हैं. इन 12,821 किसानों के पास विभिन्न बैंकों के करीब 69 करोड़ रुपये फंसे हैं. अन्य किसी ऋण योजना में जिले के बैंकों को इतनी बड़ी चपत नहीं लगी है.

गढ़वा में सरकारी और प्राइवेट बैंकों की 85 ब्रांच

गढ़वा जिले में विभिन्न सरकारी और निजी बैंकों की कुल 85 शाखाएं हैं. विभिन्न सरकारी योजनाओं में इन बैंकों का कुल एनपीए (नन परफॉर्मिंग एसेट यानी फंसा हुआ कर्ज) 89.97 करोड़ रुपये है. इनमें 69.01 करोड़ रुपये अकेले कृषि ऋण से संबंधित हैं.

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अन्य मामलों में डूबा ऋण

इसके अलावे छह लोगों के पास हाउसिंग ऋण का 47.22 लाख रुपये, शिक्षा ऋण का 69 लोगों के पास 2.23 करोड़ रुपये तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) से संबंधित 2210 लोगों के पास 17.45 करोड़ रुपये डूब रहे हैं.

एसएचजी को बांटे गये 136 करोड़ रुपये

सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के तहत कुल 10,073 एसएचजी ग्रुप की महिलाओं के पास 136.30 करोड़ रुपये बैंकों का बकाया है. इनमें से 126 ग्रुप का 70.51 लाख रुपये एनपीए हो गया है. इसके अलावे पीएमईजीपी (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) में 1.04 करोड़ रुपये, मुद्रा लोन में 14.08 करोड़ रुपये, स्टैंडअप इंडिया (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला कारोबारियों को आर्थिक मदद करने के लिए केंद्र सरकार की ऋण योजना) में 3.82 लाख रुपये बैंकों के डूब रहे हैं.

क्यों डूब रहा है कृषि ऋण

केसीसी यानी किसान क्रेडिट कार्ड के तहत किसानों को खेती के लिए ऋण दिये जाते हैं. किसानों के बीच यह धारणा बन गयी है कि केसीसी ऋण लेने के बाद उसे सरकार माफ कर देती है. इसलिए किसान ऋण को लेने के बाद उसे जमा करने के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाते हैं. प्राय: बैंक भी कृषि ऋण की वसूली में सख्ती नहीं दिखाते.

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एक पहलू यह भी

एक पहलू यह भी है कि गढ़वा जिले में प्राय: सुखाड़, अकाल तथा नीलगाय समेत अन्य जंगली जानवरों के प्रकोप से किसानों को खेतीबारी में नुकसान उठाना पड़ता है. इस वजह से भी वे केसीसी ऋण नहीं लौटा पाते हैं.

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