नई दिल्ली : भारत में बने नए संसद भवन को लेकर देश में सियासी संग्राम तो जारी ही है, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक विवाद शुरू हो गया है. कारण यह है कि नए संसद भवन में अखंड भारत की तस्वीर (भित्ति चित्र) पर बांग्लादेश ने आपत्ति जाहिर की है. हालांकि, इससे पहले पाकिस्तान और नेपाल भी इस भित्ति चित्र को लेकर ऐतराज जाहिर कर चुके हैं. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री शहरयार आलम ने नई दिल्ली स्थिति अपने उच्चायोग से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है. हालांकि, भारत ने पड़ोसियों की नाराजगी को कम करने के लिए कहा है कि यह कलाकृति अशोक साम्राज्य के प्रसार को प्रदर्शित करती है.
भित्ति चित्र से कोई लेना-देना नहीं
बांग्लादेशी मीडिया की खबरों के मुताबिक, सोमवार को ढाका में विदेश मंत्रालय में मीडिया से बातचीत के दौरान विदेश राज्यमंत्री शहरयार आलम ने कहा कि भित्ति चित्र का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और इस बारे में भ्रमित होने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग को आधिकारिक स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए विदेश मंत्रालय से बात करने के लिए कहा गया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय से मांगा स्पष्टीकरण
बांग्लादेश से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी के अखबार ढाका ट्रिब्यून से बातचीत करते हुए विदेश राज्यमंत्री शहरयार आलम ने कहा कि इसके बारे में संदेह व्यक्त करने का कोई कारण नहीं है. हालांकि, आगे स्पष्टीकरण के लिए हमने नई दिल्ली में अपने मिशन को भारतीय विदेश मंत्रालय से बात करने के लिए कहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका आधिकारिक स्पष्टीकरण क्या है.
भित्ति चित्र अशोक साम्राज्य का नक्शा
वहीं, द बिजनेस स्टैंडर्ड ने बांग्लादेश के विदेश राज्यमंत्री शहरयार आलम के हवाले से खबर दी है कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भित्ति चित्र को ‘अशोक साम्राज्य का नक्शा’ बताया था और यह ईसा मसीह के जन्म से तीन सौ साल पहले का है. उन्होंने कहा कि यह उस समय मौजूद क्षेत्र का नक्शा था और भित्ति चित्र लोगों की यात्रा को दर्शाता है.
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विदेश मंत्रालय ने पहले ही कर दिया है स्पष्ट
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले हफ्ते कहा था कि भित्ति चित्र में अशोक साम्राज्य के प्रसार और जन-उन्मुख शासन के विचार को दर्शाया गया है, जिसे सम्राट अशोक ने अपनाया और प्रचारित किया. भित्ति चित्र में नेपाल में लुंबिनी और कपिलवस्तु जैसे प्राचीन स्थलों और वर्तमान पाकिस्तान के ऐतिहासिक स्थानों को दर्शाया गया है.