राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है. चार राज्यों का जिक्र करते हुए ये दावा किया गया है कि इन राज्यों में आरक्षण के नियमों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है. जिसकी वजह से आबादी का एक बड़ा हिस्सा शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभ से वंचित है. जिन 4 राज्यों का जिक्र किया गया है उनमें पश्चिम बंगाल, राजस्थान और पंजाब के अलावे बिहार भी शामिल है.
बता दें कि एनसीबीसी को 2018 में संवैधानिक दर्जा हासिल हो चुका है. एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि एनसीबीसी ने फरवरी और मई 2023 के बीच क्षेत्रों के सर्वेक्षण कराए तो चार राज्यों में आरक्षण नियमों के कार्यान्वयन में गड़बड़ी पाई गयी.बता दें कि आयोग ने जिन चार राज्यों का जिक्र किया है उन चारों राज्यों में भाजपा विरोधी दल सत्ता में है. मनमाने ढंग से ओबीसी का दर्जा देने का दावा आयोग ने किया है.
आयोग ने सर्वे में पाया कि 1993 से 2023 तक आय की गणना करने और गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाणपत्र देने के लिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कृषि आधारित आय को भी शामिल कर लिया गया. इसे आयोग ने आरक्षण नीति के खिलाफ बताया. बिहार को अपने सॉफ्टवेयर में सुधार करने की सलाह दी गयी है.
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THE ECONOMIC TIMES के अनुसार, एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि सॉफ्टवेयर में सुधार की जरुरत है क्योंकि कुर्मी जाति के लोगों को त्रुटिपूर्ण प्रमाण पत्र दिया जा रहा था.
एनसीबीसी के अध्यक्ष ने कहा कि बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद से, कुर्मी कहकर जाति प्रमाण पत्र जारी कर रहा था. उन्होंने कहा कि ये जाति झारखंड में है पर बिहार में नहीं है. इसे बदलने का निर्देश दिया गया है.