गोरखपुरः एम्स में डॉक्टरों के अभाव में मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है. एम्स में ओपीडी अस्पताल संचालित तो हो रहा है. लेकिन डॉक्टरों की कमी की वजह से उपचार और पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं. एम्स में 183 चिकित्सक शिक्षक के सापेक्ष मात्र 86 चिकित्सा शिक्षक तैनात हैं. एम्स में अभी तक एक भी सुपर स्पेशलिस्ट एम्स को नहीं मिल पाया हैं. एम्स में एक कार्डियोलॉजिस्ट की तैनाती हुई थी. लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया. एक यूरोलॉजिस्ट से माह में 1 दिन बैठने के लिए करार हुआ है. पूरा एम्स एमडी व एमएस डॉक्टरों के भरोसे है.
कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर ने बताया कि लगातार चिकित्सा शिक्षक के रूप में डॉक्टरों से आवेदन मांगे जा रहे हैं. जिसको लेकर उनका साक्षात्कार भी हो रहा है. अनेक सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर चयनित भी किए गए. लेकिन उन लोगों ने ज्वाइन नहीं किया है. उन्होंने बताया कि प्रयास है कि पीजी का कोर्स शुरू होने से पहले पर्याप्त संख्या में चिकित्सा शिक्षक एम्स में उपलब्ध रहे.
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एम्स में चिकित्सा शिक्षक
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प्रोफेसर की स्वीकृति संख्या 33, तैनाती 08.
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एडिशनल प्रोफेसर स्वीकृति संख्या 26, तैनाती 06.
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एसोसिएट प्रोफेसर स्वीकृति संख्या 39, तैनाती 16.
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असिस्टेंट प्रोफेसर स्वीकृति संख्या 85,तैनाती 56.
गोरखपुर एम्स में पूर्वी उत्तर प्रदेश ,पश्चिम बिहार और नेपाल के मरीज आते हैं.एम्स का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई 2016 को किया था और उन्होंने 24 फरवरी 2019 को ओपीडी का शुभारंभ किया था वही 7 दिसंबर 2021 को पूर्ण विकसित एम्स का उद्घाटन भी उन्हीं के हाथों हुआ था. एम्स में वर्तमान में 750 बेड का अस्पताल और 14 ऑपरेशन थिएटर बनकर तैयार हो गए हैं लेकिन उनका पूरी तरह संचालन नहीं हो पा रहा है.
गोरखपुर में एम्स खुलने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के लोगों की उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें गंभीर बीमारी के इलाज के लिए लखनऊ, दिल्ली या और कहीं बाहर नहीं जाना होगा गोरखपुर में ही उन्हें यह सुविधा मिल जाएगी. लेकिन गोरखपुर एम्स में डॉक्टरों की कमी की वजह से आज भी गंभीर रोगियों को यहां से रेफर करना पड़ रहा है. गोरखपुर एम्स को 50 सीट मिली है इसी सत्र में परास्नातक की पढ़ाई शुरू होगी. लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते उनके पढ़ाई का संकट भी खड़ा हो गया है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप, गोरखपुर